जीवन में कभी भी भाई, गुरु और भगवान (मंदिर) की संपत्ति को मत खाओ। इन संपत्ति को खाने वाला कभी सुखी नहीं होता। उन्हें शारीरिक कष्ट और दुख हमेशा रहता है।
उन्होंने बताया कि यहां आपके जीवन में रिश्तेदार, परिवार, कुटुम्ब, मित्र सहित अन्य सभी संपत्ति खींचने वाले होते हैं, एक मात्र गुरु ही होता है जीवन में जो आपका संताप यानि दुख-तकलीफ को खींचने वाला होता है।
जीवन में चार अवस्था होती है, बचपन, युवा, अधेड़ी और बुढ़ापा। आप धन संपत्ति कमाने में पूरा जवानी और अधेड़ी लगा देते हो।
भगवान की भक्ति बाद में कर लेंगे सोचकर, लेकिन जब अचानक ही आपके जीवन की स्याही खत्म हो जाती है, तो फिर सारे कमाए हुए धन-दौलत को यही छोड़कर जाना पड़ता है और वहां सिर्फ कर्म और आपके द्वारा किए भगवान की भक्ति का हिसाब होता है।