ऐसी हो डाइट
सबसे जरूरी है बात है शिशु की डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें जो जरूरी विटामिंस और मिनरल्स की कमी पूरी करें। डाइट में फैट, प्रोटीन, विटामिन का संतुलन होना जरूरी है। जानिए आपके शिशु की डाइट में कौन सी चीजें शामिल होनी चाहिए…
दाल
दाल में प्रोटीन काफी होता है। छोटे बच्चों को दाल का पानी अवश्य पिलाना चाहिए। ये शरीर में पानी और विटामिंस की कमी भी पूरी करेगी।
केला
केला एनर्जी का बेहतरीन स्त्रोत है। दूध में मैश कर इसे देने से बच्चों के वजन में बढोतरी होती है साथ ही उसमें जरूरी विटामिन और आयरन की पूर्ति होती है।
पीनट बटर
पीनट बटर स्वादिष्ट होने के साथ फैट, विटामिन-बी, मैग्नीशियम आदि की संतुलित मात्रा होती है।
साफ-सफाई का ध्यान रखें
बच्चों की ग्रोथ धीमी होने का एक कारण साफ-सफाई न होना भी हो सकता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है वह जमीन में घिसलकर चलने लगता है ऐसे में फर्श साफ न होने पर वह बैक्टीरिया के संपर्क में आता है। इसके अलावा अगर वह चॉक, मिट्टी या चूना खाना शुरू कर देते हैं तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि उसमें कैल्शियम की कमी है।
पोषक तत्त्वों की कमी
बच्चों में वजन न बढऩे का एक कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है। शरीर में पोषक तत्व न मिलने से कुपोषण के कारण शारीरिक और दिमागी विकास में बाधा आ सकती है। अगर शिशु छह महीने से उससे कम है तो उसे हर दो घंटे पर स्तनपान कराएं। अगर बच्चा बड़ा है तो उसे दाल, खिचड़ी, चावल, फल और बिस्किट हर डेढ़ घंटे में देती रहें।
पेट में कीड़े भी वजह
कई बार बच्चे के पेट में कीड़े होने के कारण उनका वजन नहीं बढ़ पाता है। खास बात है कि ऐसे बच्चे अपनी डाइट भी बेहतर लेते हैं, उन्हें भूख भी ज्यादा लगती है, लेकिन उनका वजन नहीं बढ़ पाता है, यदि आपका बच्चा भी समय पर सब कुछ खाता है और खेलते भी रहता तो आपको एक बार डॉक्टर से जरूर पूछना चाहिए कि आपके बच्चे के पेट में कही कीड़े तो नहीं है, जिसके कारण उसका वजन नहीं बढ़ पा रहा है।
बच्चे की नींद का खास ध्यान रखें
बच्चे के शरीर का सही विकास के लिए नींद पूरी होनी बेहद जरूरी है। एक नवजात शिशु १६-१८ घंटे सोता है। यह नींद बेहद जरूरी होती है क्योंकि इस दौरान उसके शरीर में कोशिकाओं और मांसपेशियों का विकास हो रहा होता है। जिसके कारण उसकी बॉडी और वजन में परिवर्तन आता है। ऐसे में उसकी नींद का ध्यान रखें। अगर वह कम सो रहा है तो डॉक्टर से इस सम्बंध में जानकारी ले सकती हैं। साथ ही उसे सुलाते समय टेम्प्रेचर का विशेष ध्यान रखें खासकर गर्मी के दिनों में।
ज्यादा रोने न दें
कई बच्चों को गोद में रहना ज्यादा पसंद होता है, तो कुछ को जमीन पर खेलना अधिक पसंद होता है, वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो हर चीज को मुंह में रखने लगते हैं। इस स्थिति में पेरेंटï्स उन्हें बार-बार रोकते हैं या उनके मनमुताबिक एक्टिविटी नहीं करने देते हैं। ऐसे में उनका रोना स्वाभाविक है। उन्हें मनचाही एक्टिविटी करने दें। अधिक रोने और चिड़चिड़ा स्वभाव होने के कारण भी वजन बढऩे में दिक्कत आती है। साथ ही वह मानसिक रूप से भी कमजोर हो सकता है।