ऐसे होती सर्जरी
नाक की हड्डी को ठीक करने के लिए सर्जरी करते हैं जिसमें गले में ट्यूब डालकर कृत्रिम सांस देकर प्रक्रिया पूरी करते हैं। सर्जरी के बाद नाक में विशेष जेल लगाते हैं। ऐसे में रोगी मुंह से सांस लेता है। एलर्जी, नाक में पॉलिप्स बनने से छींक आने के साथ पानी निकलता है। ऐसे में रोगी को एलर्जी के कारक से दूरी बनानी चाहिए।
बहरेपन का इलाज
बहरापन जन्मजात या जन्म के बाद भी हो सकता है। जन्म से बहरा होने के कई कारण हैं। प्रेग्नेंसी में बिना डॉक्टरी सलाह के दवाएं लेना, जिसका दुष्प्रभाव शिशु के दिमाग व सुनने की क्षमता पर पड़ता है। साथ ही इस दौरान शिशु को पोषक तत्त्वों की पूर्ति न होना। विशेषज्ञ सर्जरी या कॉक्लियर इंप्लांट कर सुनने की क्षमता वापस लाते हैं। माइक्रोस्कोपिक तरीके से कान का नया पर्दा भी बनाया जाता है।
मददगार जांचें
सुनाई देने की क्षमता ऑडियोमेट्री टैस्ट से जांचते हैं। जिन्हें बिल्कुल सुनाई नहीं देता या कम उम्र का शिशु है तो ऐसे रोगियों की ब्रेनस्टेम इवोक्ड रिसपॉन्स ऑडियोमेट्री (बेरा टैस्ट) व ओटोएक्यूस्टिक एमिशन टैस्टिंग (ओएई) जांच करते हैं। इससे सुनने की क्षमता और हियरिंग लॉस का पता चलता है।
ध्यान रखें
गले में खराश व सर्दी-जुकाम लंबे समय से है तो इसे नजरअंदाज न करें क्योंकि इससे कान के पर्दे में छेद हो सकता है। हड्डी बढ़ने, कान में कुछ जाने या ट्यूमर बनने से भी कान के पर्दे में छेद होता है। कान की सफाई खुद से न करें और ईयरफोन के प्रयोग से बचें।