scriptपसीना बहाने से दुरुस्त रहेगा दिमाग | Mind will be better with sweating | Patrika News

पसीना बहाने से दुरुस्त रहेगा दिमाग

Published: Jan 26, 2018 09:06:27 pm

नियमित एक्सरसाइज करने से न केवल हम शरीर से बल्कि मन से भी तंदुरुस्त रहते हैं। इस बारे में दुनियाभर में सैंकड़ों स्टडी और रिसर्च हुई हैं व अमूमन….

excercise

excercise

नियमित एक्सरसाइज करने से न केवल हम शरीर से बल्कि मन से भी तंदुरुस्त रहते हैं। इस बारे में दुनियाभर में सैंकड़ों स्टडी और रिसर्च हुई हैं व अमूमन सबका निष्कर्ष है- ‘एक सेहतमंद शरीर में ही एक स्वस्थ दिमाग रहता है।’

 

एक्सरसाइज करने पर मस्तिष्क की प्रतिक्रियाएं

 

एक्सरसाइज से हमारे दिमाग के टेम्पोरल लोब नामक हिस्से की कार्यक्षमता तेज होती है जो कि हमारी भावनाओं से जुड़ी यादों को जमा रखने के लिए जिम्मेदार होती है।

 

कुछ नया सीखने और प्रदर्शन करने की क्षमता बढ़ती है।

 

भूलने की बीमारी -डिमेंशिया, अल्जाइमर को रोकने में मदद मिलती है।

 

व्यायाम से मास्टर ग्लैंड कही जाने वाली ‘पीयूष ग्रंथि या पिट्यूटरी ग्लैंड’ ज्यादा एंडोर्फिन हार्मोन स्रावित करती है जो दर्द निवारक होता है।

 


तनाव, अवसाद और उत्तेजना के प्रति संवेदी होने का खतरा कम होता है।

 

दिमागी कोशिकाओं के बीच संतुलन बढ़ता है और पार्किंसन जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है।

 

नियमित व्यायाम से तंत्रिका कोशिकाओं की देखभाल और उन्हें पुनर्निमित करने वाले ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रॉपिक फैक्टर में वृद्धि होती है।

 

इस बारे में विज्ञान क्या कहता है ?

 

30 मिनट नियमित दौडऩे से 15 साल की उम्र तक के बच्चे प्रतिक्रिया देने में और याददाश्त के मामले में न दौडऩे वाले दूसरे बच्चों की तुलना में तेज होते हैं।

 

65 वर्ष से अधिक उम्र वाली शारीरिक रूप से सक्रिय महिलाओं की बौद्धिक क्षमता बनी रहती है।

 


एरोबिक व्यायाम के फायदे अनेक

 

एरोबिक और नॉन एरोबिक व्यायाम वाली एक स्टडी में पाया गया कि खुली हवा में ज्यादा ऑक्सीजन पाने के लिए की गई एरोबिक एक्सरसाइज के फायदे ज्यादा होते हैं।

 

नॉन एरोबिक ग्रुप


एक साल तक नियमित एरोबिक एक्सरसाइज करने वाला गु्रप

 


करीब २५ वर्षों की एक स्टडी के अनुसार कार्डियोवस्क्यूलर फिटनेस यानी दिल की सेहत के लिए की गई एक्सरसाइज से न केवल दिल को फायदा होता है बल्कि शब्दों को याद रखने की क्षमता और किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया देने के समय में सुधार होता है।

 

सप्ताह में यदि दो बार भी रेसिस्टेंस ट्रेनिंग यानी डंबल उठाने का अभ्यास किया जाए तो इससे आपकी किसी बातचीत में ज्यादा प्रभावी ढंग से शामिल होने की क्षमता बढ़ती है। यही नहीं ऐसे में आईक्यू लेवल भी बढ़ता है।

 

मनोवैज्ञानिक विकार से पीडि़त लोग यदि योग करते हैं या सप्ताह में तीन दिन वॉक पर जाते हैं तो उनके स्वभाव, एंग्जाइटी के स्तर, नींद न आने की समस्या में सुधार दिखा। इससे मनोविकार पीडि़तों में जीएबीए-गामा अमिनो ब्यूटाइरिक एसिड का स्तर बढ़ता है।

 

10 मिनट के व्यायाम से 13-16 साल की उम्र के बच्चों की एकाग्रता में वृद्धि हो सकती है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो