यह है थैरेपी
लेजर का पूरा नाम लाइट एम्प्लिफिकेशन बाय स्टिमुलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन है। ये विशेष प्रकार की किरणें हैं जो सिलेक्टिव फोटोथर्मोलिसिस सिद्धांत पर काम करती हैं। इसमें प्रभावित हिस्से पर एक प्रोब (उपकरण) के माध्यम से तय फ्रीक्वेंसी की किरणें डालते हैं। फ्रीक्वेंसी कितनी हो, यह मर्ज पर निर्भर करता है। ये किरणें गरम होकर प्रभावित हिस्से को जला देती हैं। इससे न तो आसपास की कोशिकाओं को नुकसान होता है व न ही मरीज को जलन होती है। मरीज की किडनी में स्टोन होने पर लेजर प्रोब से स्टोन को जला देते हैं। जले अवशेष को मशीन में लगे सक्शन प्रोब से निकाल लिया जाता है। इसका असर तुरंत मरीज को महसूस होता है।
रिकवरी टाइम 2-4 घंटे
ट्रेडिशनल सर्जरी में ८-१० दिन में रिकवरी होती है लेकिन लेजर में जल्दी आराम होता है। इसमें शरीर पर छोटा चीरा लगता है। २-४ घंटे की देखरेख के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर देते हैं। सर्जरी के बाद रोग के पुनरावृत्ति की आशंका कम रहती है।
अन्य की तुलना में महंगी
पारंपरिक इलाज की तुलना में लेजर थैरेपी ३-४ गुना तक महंगी है। इसका एक कारण छोटे शहरों में प्रशिक्षित डॉक्टरों की कमी होना भी है। लेजर थैरेपी ट्रीटमेंट का खर्च १० हजार से शुरू होता है। जो रोग की गंभीरता के आधार पर घटता-बढ़ता है।
ये ध्यान रखें
हालांकि इस थैरेपी के साइड इफेक्ट नहीं होते हैं लेकिन एक्सपर्ट सावधानी बरतने की सलाह देते हैं-
थैरेपी लेने के बाद कुछ दिनों तक सूर्य की किरणों से बचें।
आंखों से जुड़ी समस्याओं के निदान के बाद धूल-धुएं और गंदे पानी से बचें। इनसे इंफेक्शन होने की आशंका रहती है।
फायदे
ब्लीडिंग व दर्द कम।
हिस्से पर निशान नहीं पड़ते।
ऑपरेशन में कम समय लगता है।
अनुभवी डॉक्टर जरूरी
लेजर थैरेपी से इलाज कराने में अन्य थैरेपी की तुलना में कम रिस्क रहता है। कुछ केस में लापरवाही के कारण मशीन से संक्रमण/ट्रीटमेंट के दौरान स्किन बर्न हो जाती है। यह थैरेपी अनुभवी डॉक्टर से ही कराएं।
कौन सा लेजर किस में कारगर
लेसिक लेजर
मुंह का कैंसर, आंख संबंधी सर्जरी और स्किन की समस्याओं में।
के लेजर
अंदरूनी घाव भरने, चश्मा हटाने, ऑस्टियो आर्थराइटिस में।
डायोड लेजर
प्रोस्टेट ग्रंथि के बढऩे, पथरी, पेन रिलीफ, अनचाहे बाल हटाने में।
सीओटू लेजर
पाइल्स, स्किन कैंसर, दाग-धब्बे, त्वचा का रंग हल्का करने में।
केआरएफ लेजर
दांत से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में।