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प्रेग्नेंसी के दौरान क्यों उड़ जाती है नींद

Published: Feb 12, 2018 07:32:42 am

प्रेग्नेंसी के दौरान क्यों उड़ जाती है नींद

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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का पूरी नींद लेना जरूरी होता है। लेकिन हार्मोंस में परिवर्तन, किसी प्रकार के तनाव या चिंता के कारण वे ठीक से सो नहीं पातीं।

गर्भावस्था के पहले 12 हफ्ते

गर्भावस्था के 10वें हफ्ते के आसपास रात में सोने का वक्त तो बढ़ ही जाता है। दिन में भी अक्सर झपकी आती रहती है। लेकिन गहरी नींद कम आती है और रात में नींद बार-बार टूटती है। इससे ज्यादा देर बिस्तर पर लेटे रहने के बावजूद नींद पूरी नहीं हो पाती।

वजह

कम उम्र और एनीमिक (खून की कमी) महिलाओं में आयरन की कमी होती है। उन्हें गर्भावस्था की शुरुआत में थकान ज्यादा लगती है। ऐसा शरीर के हार्मोंस में बदलाव की वजह से होता है। जी घबराना, उल्टी, पीठदर्द, बार-बार पेशाब जाना, थोड़ी-थोड़ी देर बाद भूख लगने जैसी दिक्कतें भी नींद पूरी न होने की वजह से हो सकती हंै।

गर्भावस्था का 13 वें से 27 वां हफ्ता


गर्भवती के लिए ये चरण सबसे अच्छा होता है। इस चरण की शुरुआत में एक बार फिर से नींद सुधरने लगती है। शुरू में तो सब ठीक रहता है लेकिन इस चरण के आखिर में एक बार फिर रात में बार-बार नींद टूटने की दिक्कत शुरू हो जाती है।

वजह

इस चरण में उल्टी और बार-बार पेशाब जाने की दिक्कत कम होती है। हालांकि इस चरण के आखिर में पेटदर्द जैसी शिकायतें नींद में खलल डाल सकती हैं। गर्भ में हलचल और सीने में जलन से भी उनकी नींद प्रभावित हो सकती है।

गर्भावस्था के 21 वें हफ्ते के बाद

इस चरण में परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है। बार-बार नींद खुलने लगती है और दिन में झपकी भी उसी अनुपात में आने लगती है। गहरी नींद भी नहीं आती। हड़बड़ाकर नींद खुलने की समस्या भी बढ़ जाती है।

वजह

बार-बार पेशाब जाने के कारण, पैरों में होने वाली ऐंठन, सीने में जलन, शरीर में आए बदलाव और पीठदर्द की समस्या की वजह से भी गर्भवती महिला की नींद प्रभावित हो सकती है।

कुछ खास उपाय

तरल पदार्थ लें

ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ जैसे पानी, जूस आदि लें। लेकिन बिस्तर पर जाने से कुछ देर पहले तरल पदार्थ न लें। इससे रात में बार-बार पेशाब के लिए उठने की जरूरत कम पड़ेगी और नींद में खलल नहीं पड़ेगा।

मॉर्निंग वॉक जरूरी

प्रेग्नेंसी के दौरान की जाने वाली एक्सरसाइज और टहलना नियमित रखें। इससे शरीर में रक्तका प्रवाह सही बना रहता है। रात में पैरों में ऐंठन की परेशानी कम करने में मदद मिलती है। एक्सरसाइज सुबह के समय करनी ज्यादा फायदेमंद होती है।

तनाव न लें

तनाव और चिंता अच्छी नींद के दुश्मन हैं। इसके लिए गर्भवती महिला को हर समय खुश रहने का प्रयास करना चाहिए और परेशानी को दूसरों से शेयर कर लेना चाहिए।

बदलें सोने का तरीका

प्रेग्नेंसी के तीसरे चरण में बाएं करवट सोने से गर्भ, किडनी और यूट्रस तक रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। प्रेग्नेंसी के इस चरण में ज्यादा वक्त सीधे पीठ के बल नहीं सोना चाहिए वर्ना रक्त का प्रवाह सही न होने पर कई परेशानियां हो सकती हैं और कोई भी परेशानी नींद खराब कर सकती है।

पेट का रखें ध्यान

प्रेग्नेंसी के दौरान खाना खाने के एक से दो घंटे तक बिस्तर में जाने से बचना चाहिए। अगर ऐसी परेशानी होती है तो सोने के दौरान सिर ऊंचा रखने के लिए तकिए का प्रयोग कर सकती हैं।

 

 

 

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