दिल्ली का रहने वाला अंश मिश्रा ३ फरवरी 2017 को इलाहाबाद से निकला था और ६ अक्टूबर 2017 को उसे इस यात्रा पर निकले २४३ दिन पूरे हो चुके हैं। इस यात्रा पर निकलने से पहले अंश दिल्ली में अच्छी खासी नौकरी कर रहे थे। एक दिन वो ढाबे पर खाना खा रहे थे कि एक पढ़े लिखे आदमी ने अपनी कार से खड़े ट्रक में टक्कर मार दी। अपनी गलती मानने की बजवाए वह कार वाला ट्रक वाले से ही बदतमीजी करने लगा और ट्रक ड्राइवर चुपचाप सुनता रहा।
इस किस्से के बाद अंश ने ट्रक ड्राइवर से बात की तो उसने कहा कि हमें तो सभी गाली देते हैं, जबकि हम अपनी पूरी जिंदगी दूसरों की सुविधा के लिए खर्च कर देते हैं। हमें शराब के लिए बदनाम किया जाता है, जकि शराब तो इनकी गाड़ी में भी रखी थी, क्या ये नहीं पीते? इन बातों का अंश पर ऐसा असर हुआ कि उन्होंने दिल्ली में अपनी नौकरी छोड़ दी और असल भारत को देखने का संकल्प लिया, वह भी लिफ्ट लेकर। वह ये प्रूव करना चाहते थे कि असली में सभ्य तो ये गरीब लोग हैं, जो बिना किसी गिव एंड टेक के लोगों की मदद करते हैं और उन्होंने 243 दिनों तक घूमकर यह साबित भी कर दिया है। वे इस यात्रा के लिए घर से एक रुपया भी लेकर नहीं गए थे, लेकिन उन्होंने लोगों की मदद से पूरा भारत घूम लिया है।