कमाल की बात यह है कि उनका शरीर इतना चुस्त दुरुस्त है कि वह घंटों खेतों में काम करती हैं। सरस्वती बाई और द्वारका प्रसाद पाटीदार की बहुत कम उम्र में ही शादी हो गई थी। जब सरस्वती ने पहले बच्चे को जन्म दिया, तो वह बीमार पड़ गई। टाइफाइड से उनकी आंतें सिकुड़ गई। कुछ भी खाती तो उन्हें हजम नहीं होता और उल्टी हो जाती। धीरे धीरे उनकी तबीयत तो ठीक हो गई, लेकिन उन्हें खाना नहीं पचता था। पति ने उनका कई जगह इलाज करवाया, लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ा।
सरस्वती ने खाना खाना छोड़ दिया और घूंट घूंट पानी पर ही निर्भर हो गईं। फिर धीरे धीरे चाय भी पचने लगी, लेकिन खाना नहीं पचा। अभी भी सरस्वती को खाना नहीं पचता। वो पानी और सुबह शाम चाय पर ही जिंदा हैं। सप्ताह में एक बार केला खा सकती हैं। वहीं सरस्ती के बच्चे और पड़ोसियों का कहना है कि मां का भोजन अब चाय-पीना ही है। जब उनसे पूछा जाता है कि क्या भूख नहीं लगी, इस पर वह बस हंसकर ना कह देती हैं। सरस्वती बाई के 5 बच्चे हैं, लेकिन उन्होंने इन सभी बच्चों के समय भी अन्न का दाना मुंह में नहीं डाला। इसके बाद भी सरस्वती पूरी तरह स्वस्थ हैं।