scriptयहां आज भी चढ़ाई जाती है मासूमों की बलि, देवी को खुश करने के लिए किया जाता है ऐसा खौफनाक काम | Children are sacrificed in a festival called Kumba Bharani in Kerala | Patrika News
अजब गजब

यहां आज भी चढ़ाई जाती है मासूमों की बलि, देवी को खुश करने के लिए किया जाता है ऐसा खौफनाक काम

कुंबा भरानी नाम के इस त्यौहार में अपनी मनोकामना पूरी करने और भगवान को खुश करने के लिए मासूम बच्चों की बलि चढ़ाई जाती है।

Sep 05, 2018 / 11:31 am

Arijita Sen

कुंबा भरानी

यहां आज भी चढ़ाई जाती है मासूमों की बलि, देवी को खुश करने के लिए किया जाता है ऐसा खौफनाक काम

नई दिल्ली। दुनिया आज भले ही बहुत आगे बढ़ चुकी है, लेकिन परंपरा और धार्मिक अनुष्ठानों के नाम पर आज भी लोग कुरीतियों का पालन करते आ रहे हैं। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि पढ़े-लिखे और शिक्षित वर्ग के लोग भी इन्हें मानने से कतराते नहीं है। अब आप इस संदर्भ में कुंबा भरानी नाम के इस त्यौहार को ही देख लीजिए जहां अपनी मनोकामना पूरी करने और भगवान को खुश करने के लिए मासूम बच्चों की बलि चढ़ाई जाती है।

कुंबा भरानी

जी हां, केरल के अलाप्पुझा में चेट्टीकुलांगरा देवी मंदिर में हर साल मनाए जाने वाले यहां दी जाती है आज भी नरबलि नामक इस उत्सव में अमीर परिवार के लोग गरीबों को कुछ पैसे देकर उनसे बच्चों को खरीदते हैं और अपने स्वार्थ के लिए इनकी बलि चढ़ाते हैं। करीब 250 साल पुरानी इस परंपरा में पहले लोग अपने ही बच्चों की बलि चढ़ाते थे हालांकि वक्त के साथ अब उच्च वर्ग के लोग निम्न वर्ग के लोगों को पैसे देकर उनके बच्चों की बलि चढ़ाते हैं।

कुंबा भरानी

महज 8 से 12 वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों को मात्र 50 हजार रुपये में खरीदा जाता है। तत्काल पैसा कमाने के चक्कर में लोग अपने बच्चों को बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं।

चूरल मुरियल के नाम से मनाए जाने वाली यह प्रथा कुठियट्टम नामक एक प्राचीन परंपरा का हिस्सा है। इसमें देवी भद्रकाली की पूजा की जाती है।

सबसे पहले गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को अमीर परिवारों द्वारा अडॉप्ट कर लिया जाता है। इसके बाद अगले 7-10 दिनों तक ये बच्चे पूजा इत्यादि करते हैं।

इस दौरान इन घरों में भोज के साथ-साथ इन लड़कों को काफी बारीकी के साथ नृत्य कला का प्रशिक्षण दिया जाता है।‘भरानी’ के दिन लड़कों को कागज के मुकुट और केले के पत्तों से राजा की तरह सजाया जाता है।

कुंबा भरानी

चूरल मुरियल में बच्चों के पसलियों के दोनों तरफ की चमड़ियों में एक सुई से छेद किया जाता है और सोने या चांदी के तार या बांस की डंडी उन छेदों के जरिये पार करते हैं।इसके बाद उस छेद में सोने का धागा घुसाया जाता है। तत्पश्चात गाजे-बाजे के साथ भक्त इन बच्चों को मंदिर तक लेकर जाते हैं। मंदिर तक का रास्ता तय करने में इन बच्चों को घंटों का समय लगता है। इस दौरान उनके घावों से खून निकलता रहता है।

कुंबा भरानी

आसपास के लोग उनके रिसते घावों पर नारियल पानी डालते हैं और हाथों से हवा करते हैं। चीखते-चिल्लाते ये बच्चे जैसे-तैसे मंदिर तक पहुंचते हैं।अब इन धागों को खींचकर निकाला जाता है और मंदिर में चढ़ाया जाता है। जिससे यह माना जाता है कि देवी भद्रकाली की मूर्ति के समक्ष उनका बलिदान दे दिया गया है और बलि पूरी मान ली जाती है।इसके साथ ही कुठियट्टम का अंत होता है।

 

 

कुंबा भरानी

साल 2016 के नवंबर में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत इस त्यौहार पर बैन लगाया गया था। बाद में केरल हाइकोर्ट ने भी इस बैन को उचित ठहराया, लेकिन इसके बाद भी मंदिर प्रशासन इन आदेशों की अनदेखी कर हर वर्ष यह त्यौहार मनाता है।

 

Home / Ajab Gajab / यहां आज भी चढ़ाई जाती है मासूमों की बलि, देवी को खुश करने के लिए किया जाता है ऐसा खौफनाक काम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो