अजब गजब

11 साल से सड़ रही है इस महिला की लाश! इस वहज से आज तक नहीं हो पाया अंतिम संस्कार

धर्म सार्वभौमिक होता है। पदार्थ हो या मानव पूरी पृथ्वी के किसी भी कोने में बैठे मानव या पदार्थ का धर्म एक ही होता है। उसके देश, रंग रूप की कोई बाधा नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि धर्म हमारी ज़िंदगी में कोई बाधा लाए।

नई दिल्लीNov 20, 2018 / 01:22 pm

Priya Singh

11 साल से सड़ रही है इस महिला की लाश! इस वहज से आज तक नहीं हो पाया अंतिम संस्कार

नई दिल्ली। धर्म का अर्थ होता है, धारण, अर्थात जिसे धारण किया जा सके, धर्म ,कर्म प्रधान है। लेकिन धर्म वो नहीं जो किसी को कोई काम करने पर मजबूर करे। लेकिन धर्म के कारण पिछले 11 साल से एक महिला की लाश अपने अंतिम संस्कार को तरस रही है। इस महिला के साथ हो रही इस नाइंसाफी के पीछे कोई गैर नहीं बल्कि उसके बच्चे हैं। 11 साल पहले मरी इस महिला की लाश अपने अंतिम संस्कार के इंतज़ार में कंकाल बन गई है लेकिन अदालत यह तय नहीं कर पा रही है कि यह महिला हिंदू है या मुसलमान। धर्म सार्वभौमिक होता है। पदार्थ हो या मानव पूरी पृथ्वी के किसी भी कोने में बैठे मानव या पदार्थ का धर्म एक ही होता है। उसके देश, रंग रूप की कोई बाधा नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि धर्म हमारी ज़िंदगी में कोई बाधा लाए। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हावड़ा के बाल्टीकुड़ी के बालापुकुर की रहने वाली परी मल्लिक 11 साल पहले बीमारी के चलते जिला अस्पताल में भर्ती करवाई गईं। लेकिन इलाज के दौरान नवंबर में उनकी मौत हो गई जहां से उनकी इंतज़ार की ये घडी शुरू हुई।

जिस दिन परी मल्लिक की मौत हुई उसी दिन, रीना राय नाम की एक महिला वहां पहुंची और उसने अस्पताल प्रबंधन को बताया कि वह मृत परी मल्लिक की बहू है। उसने दावा किया कि मृतका का नाम परी राय है और उसके पति का नाम स्वर्गीय प्रसाद राय है। इसके बाद रीना ने ज़िद पकड़ ली कि परी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से करने की बात कही और शव रीना को सौंपने को कहा। बढ़ते विवाद को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने कानूनी रूप से अधिकार पत्र लाने पर ही शव को सौंपने की बात कही और शव को मुर्दाघर में रख दिया गया। इसके बाद दोनों परिवार कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंचे। साल दर साल करते हुए 11 साल बीत गए। और अभी तक शव के असली हकदार का फैसला नहीं हुआ है।

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