पौराणिक कथाओं की मानें तो राजा बनने के बाद विभीषण ने भगवान राम से यह निवेदन किया कि वे लंका तक आने वाले रामसेतु को नष्ट कर दें। राम ने निवेदन को स्वीकारते हुए अपने धनुष के एक छोर से सेतु को तोड़ दिया। तभी से इस स्थान को धनुषकोटि के नाम से जाना जाने लगा। जानकारी के लिए बता दें कि, हिंदू धर्म में धनुषकोटि को पवित्र स्थानों में से एक माना गया है। लेकिन आज इसकी कहानी थोड़ी अलग है जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।
बता दें कि, आज ये एक ऐसे गांव बन चुका है जो देश के सबसे भयानक गांवों की सूची में आता है। यह एक ऐसा गांव है जहां की सुनसान सड़कें और डरावना माहौल किसी को भी डरा सकता है। सन 1964 के पहले इस जगह की खूबसूरती देखने लायक होती थी लेकिन, एक भयंकर चक्रवात ने इस जगह की पूरी काया ही पलटकर रख दी। 1964 उस भयंकर चक्रवात में पूरा धनुषकोटि तबाह हो गया कहा जाता है कि उस चक्रवात में लगभग 1800 लोग मारे गए थे और एक ही दिन में पूरा एक गांव सूनसान हो गया। बस तभी से लोग यहां रात में जाते से डरते हैं कहते हैं यहां इंसान तो इंसान कोई पक्षी भी दिखाई नहीं देता। लोगों की माने तो उस तबाही के बाद यहां आने वाले लोगों ने कई अजीबोगरीब चीजें महसूस की। लोगों के माने तो कि इस स्थान पर हमेशा किसी के होने का आभास होता है खासकर रात में। धनुषकोटि से भगवान राम का गहरा संबंध है, वहीं दूसरी ओर यहां प्रेत आत्माओं को भी महसूस किए जाने के दावे किए गए हैं।