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हंसी के पीछे का राज जो बताया जाता है वो ये है कि महात्मा बुद्ध ( Mahatma Buddha ) के एक शिष्य होतेई हुआ करते थे। माना जाता है कि जब होतेई को ज्ञान की प्राप्ति हुई तब वो जोर-जोर से हंसने लगे। इसके बाद से उन्होंने अपने जीवन का एक मात्र उद्देश्य हंसने को बना लिया। बताया जाता है कि वो जहां भी जाते वहां जाकर लोगों को अपना पेट दिखाते और जोर-जोर से हंसने लगते। यही कारण था कि जापान और चीन में लोग उन्हें हंसता हुआ बुद्धा बुलाने लगे, जिसको अंग्रेज में लाफिंग बुद्धा कहते हैं।
होतेई के अनुयायियों ने भी उनके इस हंसने के संदेश का देश-दुनिया में प्रचार किया। चीन में तो होतई यानी लाफिंग बुद्धा के अनुयायियों ने उनका इस कदर प्रचार किया कि वहां के लोग उन्हें भगवान मानने लगे। वहां लोग इनकी मूर्ति को गुड लक के तौर पर घरों में रखने लगे। हालांकि चीन में लाफिंग बुद्धा को पुताइ के नाम से जाना जाता है। जैसे भारत में भगवान कुबरे को धन का देवता माना जाता है ठीक उसी तरह चीन में लाफिंग बुद्धा को ही सब कुछ माना जाता है।