क्या है पूरा मामला? जानकारी के मुताबिक, दीक्षा कंवर नाम की महिला को तीन दिन पहले डिलीवरी के लिए रामगढ़ के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रसर के दौरान डॉक्टरों ने नवजात के पैरों को इतनी तेजी से खींचा कि उसके शरीर के दो हिस्से हो गए। इसके बाद परिजनों को इस बात की जानकारी दिए बिना ही महिला को जैसलमेर के लिए रेफर कर दिया।
कोख से निकला सिर्फ ‘सिर’
जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में डॉ. रविंद्र सांखला ने बताया कि उन्हें जानकारी दी गई कि डिलिवरी हो गई है, लेकिन गर्भनाल अंदर ही रह गई है। उन्होंने देर रात गर्भनाल निकालने की कोशिश की तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया। अगले दिन महिला को जोधपुर रेफर किया। जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में जब डॉक्टरों ने डिलिवरी की कोशिश की तो कोख से सिर्फ बच्चे का सिर ही निकला।
जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में डॉ. रविंद्र सांखला ने बताया कि उन्हें जानकारी दी गई कि डिलिवरी हो गई है, लेकिन गर्भनाल अंदर ही रह गई है। उन्होंने देर रात गर्भनाल निकालने की कोशिश की तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया। अगले दिन महिला को जोधपुर रेफर किया। जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में जब डॉक्टरों ने डिलिवरी की कोशिश की तो कोख से सिर्फ बच्चे का सिर ही निकला।
नवजात का सिर लेकर थाने पहुंचे पीड़ित परिजन पीड़ित परिजन बच्चे का सिर लेकर थाने पहुंचे और एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस का कहना है कि डॉक्टरों ने बच्चे का धड़ भी दे दिया है। बच्चे के शरीर के दोनों हिस्सों का पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
क्या बोले जिम्मेदार?
बता दें, पूरे मामले में रामगढ़ अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डाॅ. निखिल शर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि महिला को जब अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसी दौरान नवजात के पैर बाहर नजर आ रहे थे और वो मृत अवस्था में था। अस्पताल में पर्याप्त सुविधा नहीं होने की वजह से महिला को जैसलमेर रेफर किया गया था।
बता दें, पूरे मामले में रामगढ़ अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डाॅ. निखिल शर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि महिला को जब अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसी दौरान नवजात के पैर बाहर नजर आ रहे थे और वो मृत अवस्था में था। अस्पताल में पर्याप्त सुविधा नहीं होने की वजह से महिला को जैसलमेर रेफर किया गया था।