बच्चे ने किसी को नहीं बताइर् पेंच निगलने की बात डॉक्टरों के मुताबिक, भोपाल के मुंगावली में रहने वाले गुफरान का 8 साल का बेटा तय्यब है। बीते फरवरी महीने में उसने खेल-खेल में लोहे का पेंच निगल लिया। उसने ये बात किसी को नहीं बताई और न ही हमें कुछ पता चल सका। कुछ दिन बाद रात में सोते समय उसने अपनी मां से सीने में दर्द होने की बात कही, जिसके बाद बच्चे के पिता ने उसे डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने दवाएं दे दी, जिससे कुछ दिन तक तबीयत ठीक रही। इसके बाद भी उसे सीने में दर्द होता रहा। फिर उसे हॉस्पिटल में दिखाया गया।
कमजोर होता जा रहा था बच्चा, खाना-पीना कर दिया था बंद जानकारी के मुताबिक, चार महीने तक लोहे के पेंच का फेफड़े में पड़े रहने से बच्चे को इंफेक्शन का खतरा बढ़ गया था। उसके फेफड़ों में पस भी पड़ने लगा था। इंफेक्शन की वजह से बच्चे ने खाना-पीना बंद कर दिया था। इसकी वजह से वह लगातार कमजोर और उसका वजन कम होता जा रहा था।
जा सकती थी बच्चे की जान
अगर पेंच ज्यादा दिन तक यूं ही फेफड़ों में फंसा रहता तो फेफड़ा पूरी तरह से चोक हो सकता था। इस वजह से बच्चे की मौत तक हो सकती थी। सांस नली से होते हुए पेंच फेफड़े में अटक गया था। बच्चे का एक्स-रे और सीटी स्कैन कराया में पेंच पड़े होने की बात पता चली। ब्रोंकोस्कोपी तकनीक से बच्चे का ऑपरेशन कर पेंच को फेफड़े से बाहर निकाया गया।
अगर पेंच ज्यादा दिन तक यूं ही फेफड़ों में फंसा रहता तो फेफड़ा पूरी तरह से चोक हो सकता था। इस वजह से बच्चे की मौत तक हो सकती थी। सांस नली से होते हुए पेंच फेफड़े में अटक गया था। बच्चे का एक्स-रे और सीटी स्कैन कराया में पेंच पड़े होने की बात पता चली। ब्रोंकोस्कोपी तकनीक से बच्चे का ऑपरेशन कर पेंच को फेफड़े से बाहर निकाया गया।