महिला ने बताया कि जब भी वह टेस्ट के लिए डॉक्टर के पास जाती थी तो उन्हें यही कहा जाता था कि बच्चे को बचा पाना मुश्किल है। इसके बाद अबॉर्शन के लिए कहा जाता था, लेकिन मैं मेरे बच्चे को किसी भी हाल में जन्म देना चाहती थी।
बता दें, डॉक्टरों ने सर्जरी कर 26 हफ्ते के प्रीमेच्योर बच्चे को बाहर निकाला। डॉक्टर्स का कहना है कि वह बच्चे के जन्म के बाद वह खुद भी हैरान थे, क्योंकि पहले उन्हें लगा था कि बच्चा कम से कम 500 ग्राम का होगा, लेकिन उसका वजन 350 ग्राम ही निकला। इसके बाद उसे तुरंत लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रख दिया।
अपने बच्चे को देख पिता भी बेहद हैरान थे। उनका कहना था कि बच्चे को देखकर उन्हें खुद पर भरोसा नहीं हो रहा था। वह उनकी हथेली के बराबर था। हमें जन्म के बाद सिर्फ उसकी हथेली छूने दी गई। वहीं, बच्चे की मां का कहना है कि इतना नाजुक होने के बावजूद वो जिंदगी से हारा नहीं। वो लड़ता रहा। जन्म के बाद बच्चे को 6 महीने तक हॉस्पिटल में स्पेशल केयर में रखा गया, जिसके बाद पहली बार टेलर दंपति अपने बच्चे को घर ले जा पाए।