कछुए के नहीं थे पैर, डॉक्टरों ने पहिए लगाकर बनाया उसे फिट
जयेश पटेल ने साल 1995 में ग्रेजुएशन ( Graduation )की थी और नौकरी की तलाश में थे उसी दौरान उनका एक्सीडेंट हो गया जिसमें उन्हे अपनी आंखों की रोशनी गंवानी पड़ गई। परिवार के जीवन यापन की ज़िम्मेदारी जयेश की पत्नी के ऊपर आ गई। परिवार में आर्थिक समस्याएं रहने लगी फिर भी दिव्यांग जयेश ने अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास किया।
जयेश के बेटे ने हाईस्कूल में 91 फीसदी अंक हासिल किए जिसके बाद वो अपने बेटे को साइंस साइड दिलाकर डॉक्टर ( Doctor ) बनाना चाहते हैं। लेकिन आर्थिक हालात ठीक ना होने की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा। जयेश कहते है कि परिवार आर्थिक तौर पर कमज़ोर है और उनकी आंखों की रोशनी ना होने की वजह से पूरे परिवार की जिम्मेदार उनकी पत्नी संभालती हैं ऐसे में उनके पास किडनी बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। जयेश कहते है कि वो अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं और उसे डॉक्टर बनाने का सपना पूरा करना चाहते हैं जिसके लिए वो अपनी किडनी बेचने के लिए भी तैयार हैं।