20 साल से कर रहे थे प्रयास
कोलंबिया जिले में नेशनल जू के विशेषज्ञों ने बताया कि चीता हिमयुग के अंतिम दशकों से ही लुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं। प्राकृतिक रूप से इनकी आबादी बढ़ाने के वैज्ञानिकों के सारे प्रयास भी इतने सालों में विफल सारबित हुए। बीते 20 सालों से जू के वैज्ञानिक आईवीएफ तकनीक और मादा चीता के भ्रूण स्थानांतरण (एम्ब्रायो ट्रांसफर) के माध्यम से चीता की आबादी को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। वर्जीनिया के स्मिथसोनियन कंजर्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की मदद से ओहियो के कोलंबस चिडिय़ाघर में किया गया था। दरअसल चीता शावकों की उच्च मृत्यु दर के कारण इनकी आबादी 25 फीसदी की तेजी से घट रही है। वैज्ञानिकों ने तीसरी बार इस प्रक्रिया को दोहराया था लेकिन पहली बार इसमें सफलता मिली।