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दो दशक बाद आईवीएफ तकनीक से पहली बार जन्मे दो चीता शावक

locationजयपुरPublished: Mar 24, 2020 05:42:24 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

अभी तक महिलाएं ही इन विट्रो फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया (आइवीएफ) से संतान सुख पाती थीं। लेकिन पहली बार संकटग्रसत चीता की आबादी को बढ़ाने के लिए भी वैज्ञानिक इस तकनीक का लंबे समय से मादा चीता पर पर प्रयोंग कर रहे थे।

दो दशक बाद तकनीक से चीता को बचाने में वैज्ञानिकों को मिली कामयाबी

दो दशक बाद तकनीक से चीता को बचाने में वैज्ञानिकों को मिली कामयाबी

हाल ही वे इस प्रयोग में सफल भी हों गए हैं। अमरीका के कोलंबस चिडिय़ाघर में दुनिया के पहले आइवीएफ चीता शावकों ने आंखें खोलीं तो वैज्ञानिकों को इस बात की उम्मीद भी मिली कि वे इससे लुप्त होने की कगार पर खड़ी बिल्ली परिवार की इस अ्दभुत प्रजाति को बचा सकेंगे। इन शावकों को नेशनल जू के वैज्ञानिकों की मदद से एक तीन साल की सरोगेट मादा चीता इजी से पैदा किया गया है, जबकि शावकों की जैविक मां किबीबी की उम्र छह साल है।

20 साल से कर रहे थे प्रयास
कोलंबिया जिले में नेशनल जू के विशेषज्ञों ने बताया कि चीता हिमयुग के अंतिम दशकों से ही लुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं। प्राकृतिक रूप से इनकी आबादी बढ़ाने के वैज्ञानिकों के सारे प्रयास भी इतने सालों में विफल सारबित हुए। बीते 20 सालों से जू के वैज्ञानिक आईवीएफ तकनीक और मादा चीता के भ्रूण स्थानांतरण (एम्ब्रायो ट्रांसफर) के माध्यम से चीता की आबादी को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। वर्जीनिया के स्मिथसोनियन कंजर्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की मदद से ओहियो के कोलंबस चिडिय़ाघर में किया गया था। दरअसल चीता शावकों की उच्च मृत्यु दर के कारण इनकी आबादी 25 फीसदी की तेजी से घट रही है। वैज्ञानिकों ने तीसरी बार इस प्रक्रिया को दोहराया था लेकिन पहली बार इसमें सफलता मिली। 
केवल 7500 चीता

आइवीएफ करवाने वाली टीम के वैज्ञानिक पियरे कॉमिज्जोली का कहना है आइवीएफ तकनीक से आबादी बढ़ाने वाली यह दूसरी प्रजाति है। इससे पहले 1990 में बाघों की आबादी बढ़ाने के लिए भी इस तकनीक का सफल प्रयोग किया जा चुका है। इज्जी ने एक नर और एक मादा चीता को जन्म दिया है। गौरतलब है कि अफ्रीका में चीता 13वीं सदी से ही संकटग्रस्त प्रजाति है। प्राकृतिक पर्यावास में अभी केवल 7500 चीता ही हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर ने उन्हें लुप्त होती प्रजाति घोषित किया है।
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