पीड़ित महिला का नाम बंशराजी है, जो अभी अपने भतीजे रामकोमल के साथ रहती हैं। जहां एक ओर सरकारी दस्तावेज़ों में महिला को मृत दिखाया गया है, तो वहीं दूसरी ओर महिला के नाम का आधार कार्ड भी बना हुआ है। इस पूरे फर्ज़ीवाड़े में ग्राम विकास अधिकारी की लापरवाही की बू आ रही है, जिसने बिना कोई जांच-पड़ताल किए ही महिला को मृत घोषित कर दिया।
दरअसल इस मामले में प्रभारी अधिकारी ने जांच के लिए बिलरियागंज बीडीओ को अधिकार दिए। बीडीओ ने इस काम की जांच ग्राम विकास अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह को सौंप दी। लेकिन सत्य प्रकाश ने बारीकी से जांच करना तो दूर, साधारण जांच भी नहीं की। सत्य प्रकाश ने महिला के परिजनों से बातचीत करने के बजाए ग्राम प्रधान के बयान के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर दी, जिसमें उसने बंशराजी पत्नी स्व. बोधन को 8 जुलाई, 1976 की तारीख पर मृत बता दिया।
महिला ने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं और तीनों ही शादीशुदा है। महिला ने कहा कि यदि किसी को कोई शक है तो वे उनका डीएनए टेस्ट भी करा सकता है। पूरे मामले पर खुद को फंसता देख जांच अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह ने महिला के मृत्यु प्रमाण-पत्र के साथ-साथ शवदाह प्रमाण-पत्र का हवाला दिया है। महिला ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें किसी भी प्रकार का कोई प्रमाण-पत्र नहीं दिया जा रहा है। महिला ने सत्य प्रकाश पर सीधे-सीधे आरोप लगाते हुए कहा है कि उसने पद का नाजायज़ फायदा उठाते हुए उन्हें सरकारी कागजातों में मृत दिखा दिया।
फिलहाल ये पूरा मामला अब बिलरियागंज बीडीओ तक पहुंच चुका है। बीडीओ ने कहा है कि अब वे इस मामले की बारीकी से जांच करेंगे। बीडीओ ने इस मामले में दोषी पाए जाने वाले सभी अभियुक्तों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी बात कही है।