शादी में दूल्हे को शराब पिलाने की रस्म को लेकर सभी बड़े उत्साहित भी रहते हैं। शादी में शामिल होने वाले सभी मेहमान तो महुए की शराब पीते ही हैं। साथ ही दूल्हा और दुल्हन का भी शराब पीना बेहद जरूरी होता है।
महंगाई के इस दौर में भी बैगा समुदाय की शादियो में खर्च बहुत ही कम आता है। बैगा आदिवासियों की शादी में पंडित नहीं होता। कोई विशेष सजावट और खर्च नहीं होते। शादी में शराब ही इनके लिए सब कुछ होता है। बैगा आदिवासियो में दहेज प्रथा पूरी तरह बंद है और पारंपरिक लिबास में ही दूल्हा अपनी दुल्हन को ब्याह कर ले जाता है।
शादी रचाने और दुल्हन लाने के लिये आज भी पूरी बारात मीलों दूर पैदल चलकर जाती है। शादी का पण्डाल भी पेड़ों की पत्तियों से बनाया जाता है। तमाम सामाजिक रस्मों को पूरा करने के बाद दूल्हा दौड़कर अपनी दुल्हन को पकड़ लेता है और उसे अपनी अंगूठी पहना देता है।
शादी-समारोहों में शराब पीने और पिलाने की परंपरा तो यहां कई साल से रही ही है, किसी भी जश्न के साथ ही मातम में भी शुरूआत शराब के साथ ही होती है।