सिरमौर कला संगम नाम की एक संस्था जोगी के काम के प्रति लगन के मद्देनज़र उन्हें सम्मानित करने जा रही है। खबरों के मुताबिक जोगी को यह सम्मान आने वाली 28 जून को ददाहू में दिया जाएगा। लेकिन यहां एक हैरान कर देने वाली बात ये भी है कि जोगी खुद को मिलने वाले इस डॉ. यशवंत सिंह परमार पुरस्कार को लेने भी न जाएं। जोगी का कहना है कि यदि वे सम्मान लेने पहुंचते हैं तो उन्हें छुट्टे करनी पड़ेगी और वे छुट्टी लेने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है।
जोगी ने बताया कि उन्हें मिलने वाला डॉ. यशवंत सिंह परमार पुरस्कार लेने के लिए उनके पिता ददाहू जाएंगे। जोगी ने साल 2005 में 4 जून को हिमाचल रोडवेज के लिए नाहन डिपो में नौकरी शुरु की थी। जिसके बाद से उन्होंने आज तक एक भी छुट्टी नहीं ली। जोगी के बारे में कहा जाता है कि वे एक नेक इंसान तो हैं ही साथ ही वे अपने काम के प्रति ईमानदार, और जुझारू भी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि कई बार जोगी त्योहारों के समय भी ड्यूटी पर ही रहते हैं।
आपको जानकर गर्व होगा कि जोगी ने रविवार को मिलने वाली छुट्टी भी नहीं ली, जिससे उनके पास कुल 303 रविवारीय छुट्टियां इकट्ठी हो गईं, जिसे उन्होंने रोडवेज़ को दान के रूप में दे दिया। वर्तमान में उनके पास अभी भी 550 रविवारीय छुट्टियां छुट्टियां हैं। जोगी के काम के प्रति उत्साहित रोडवेज़ ने साल 2011 में उन्हें सम्मानित किया था।