कंडोम का इतिहास भारत में भी बहुत पुराना है। कंडोम भारत में 1940 के दशक से उपलब्ध है। साल 1964 की जनगणना के अनुसार साल 1968 तक भारत में 47 मिलियन लोगों की जनसंख्या के लिए बाजार में केवल दस लाख कंडोम उपलब्ध थे।
उस समय भारत में कंडोम की लागत लगभग संयुक्त राज्य अमरीका की तरह ही थी। ऐसे में जिन लोगों की आय कम थी उनके लिए इसे खरीद पाना संभव नहीं था। ऐसे में निम्न आय वर्ग में जनसंख्या वृद्धि दर भी सबसे ज्यादा थी।
इस समस्या से निजात पाने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान की एक टीम ने सरकार को इस बात का सुझाव दिया कि वे भारतीय जनता को सस्ती कीमतों पर कंडोम उपलब्ध कराएं। सरकार से इस बात की सिफारिश की गई की भारत को कंडोम का आयात करना चाहिए और उन्हें ₹ 0.05 की दर से बाजार में आम लोगों के लिए उपलब्ध करानी चाहिए।
इसी वजह से साल 1968 में अमरीका, जापान और कोरिया से लगभग 400 मिलियन कंडोम आयात किए गए थे। सभी कंडोम में समान पैकेजिंग थी, जिसमें तीन कंडोम प्रति पैकेट थे।
19वीं शताब्दी के मध्य में रबड़ से बनाई गई कंडोम लोगों के बीच लोकप्रिय हो गई। बाद में यानि कि 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में इनमें और भी प्रगति हुई। ऐसा कहा जाता है कि गर्भ निरोधक गोली की शुरूआत से पहले पश्चिमी दुनिया में जन्म नियंत्रण के लिए कंडोम का ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था।
कई साल पहले खुदाई में पुरातत्वविदों को सबसे पुराना कंडोम डडली कैसल के मैदानों में स्थित एक सेसपिट में मिला। 1642 के आरंभ में कंडोम के निर्माण के लिए जानवरों की झिल्ली का उपयोग किया जाता था।