जानकारी के अनुसार इस महिला ने झील में कूदकर जान दे दी थी। जिसके बाद गांव के लोगों ने झील के पानी को उपयोग करने से मना कर दिया, क्योंकि महिला HIV पॉजिटिव थी। हालांकि स्थानीय प्रशासन ने लोगों को समझाने की बहुत कोशिश की, कि HIV पानी से नहीं फैलता लेकिन सफलता नहीं मिली। बाद में ग्रामीणों की जिद के चलते झील को खाली किया गया। बता दें कि यह मोराब झील उत्तर कर्नाटक की नावलगुंड तालुका की सबसे बड़ी झील है और पीने के पानी का अकेला स्रोत है। ऐसे में ग्रामीणों को अब पानी के लिए 3 किलोमीटर की चढ़ाई करके मालाप्रभा नहर से पानी ला रहे हैं।
लोगों ने कहा संक्रमित है पानी
झील में HIV पॉजिटिव महिला का शव मिलने के बाद गांव में अफवाह फैल गई कि पानी संक्रमित हो गया है। ऐसे में गांववालों ने पानी पीने से मना कर दिया और ग्राम पंचायत और नावलगुंड तालुक प्रशासन से झील खाली कराने की मांग की। लोगों का कहना है कि अगर ये शव किसी सामान्य व्यक्ति का होता तो वो झील को खाली करने की जिद नहीं करते। वहीं प्रशासन ने भी ग्रामीणों को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन जब बात नहीं बनी तो हारकर अब 20 साइफन ट्यूब्स और पानी की चार मोटरों से झील के पानी को निकाला जा रहा है।
अभी और बढ़ेगी ग्रामीणों की समस्या
बता दें कि अभी जिस रक्तार से झील को खाली करने का काम चल रहा है उसमें कम से कम 4 दिन लगेंगे। इसके बाद झील को वापस से भरने का काम किया जाएगा, लेकिन जिस मालाप्रभा नहर से झील को भरने का काम किया जाना है वह सिर्फ 8 दिसंबर तक ही चलनी है। अब ऐसे में ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन इस नहर को 20 दिसंबर तक चलाने की मंजूरी दे देगा जिससे झील को वापस से भरा जा सके।