इंडोनेशियां के पपुआ गिनी द्वीप में रहने वाली दानी प्रजाति के लोग इस अजीब परंपरा का पालन करते है। ये लोग परिवार में किसी की मौत होने पर शोक जताने के लिए अपनी उंगली का एक हिस्सा काट देते हैं। दानी जनजाति की महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वो मृत रिश्तेदार को श्रद्धांजलि देने और उसका शोक मनाने के लिए अपनी अंगुली का सिरा काटेंगी। इस जनजाति के लोग पुराने रीतिरिवाजों को आज भी मानते हैं।
इस जनजाति के लोगों का मानना हैं कि महिलाओंकी अंगुली काटने से होने वाले दर्द से मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है। किसी व्यक्ति के मरने जाने पर उस घर की महिलाओं की अंगिली ऐसे ही आसानी से नहीं काटी जाती हैं, बल्कि महिलाओं की अंगुली काटने से पहले आधे घंटे तक उनको बांधा जाता है। फिर अंगुलियों को काट कर जला दिया जाता है।
उंगली काटने की यह अजीब परंपरा इन जानजाति के महिला-पुरुष दोनों के लिए है, लेकिन आमतौर इसे महिलाओं को ही निभाना पड़ता है और पुरुष अपनी उंगली नहीं काटते। बता दें, इंडोनेशिया की सरकार ने इस प्रथा को बैन कर दिया है लेकि आज भी यहां के दूरदराज के इलाकों में ये दर्दनाक प्रथा चल रही है।
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इस ट्राइब की खोज आज से 84 साल पहले वेस्टर्न साइंटिस्ट ने की थी। इस जनजाति के बारे में बाहरी दुनिया को सबसे पहले अमेरिकी फिलैंथ्रोपिस्ट रिचर्ड आर्कबोल्ड ने 1938 में बताया था। इस जनजाति की तस्वीरें लेना काफी मुश्किल है क्यूंकि ये ट्राइब लोगों से दूर रहती है। इसके बावजूद कई लोग इनके साथ दोस्ताना रवैया अपनाकर इनके साथ घुल-मिल जाते है और इनकी तस्वीरें दुनिया के सामने ले आते हैं। इसी के तहत ट्राइब से जुड़ी कुछ अजीबोगरीब चीजें भी दुनिया के सामने आईं।दानी ट्राइब के बारे में एक और अजीबोगरीब बात है कि यह लोग अपनों की मौत के बाद उनकी लाश को दफनाते नहीं है। दानी ट्राइब जनजाति के लोग लाशों को आधा जला देते हैं और फिर घर में लाकर रख देते हैं। लाशों को उस लेवल तक जलाया जाता है जिस के बाद बॉडी को ममी जैसा प्रिजर्व किया जा सके। यहां आपको घरों में कई लोगों की ममी भी मिल जाएगी। आपको बता दें आज भी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और इंडोनेशिया में कई ऐसी जनजातियां रहती हैं जो अपनी हजारों साल पुरानी जीवन पद्धति को जारी रखे हुए हैं।
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