गुरुद्वारे के दाई तरफ करीब 10 कदम की दूरी पर ही मिट्टी का बहुत ऊंचा टीला बना है। कहा जाता है कि यह कभी राजा जरासंध का महल हुआ करता था, लेकिन एक सती द्वारा दिए गए श्राप के कारण उसका यह किला मिट्टी में तब्दील हो गया था। दरअसल, यहां का राजा जरासंध अपने राज्य में होने वाली शादियों की डोली लूटकर अपने इसी महल में लाता था और नई नवेली दुल्हनों की इज्जत से खेलता था। इससे राज्य की जनता बड़ी परेशान थी, लेकिन कुछ कर पाने में असमर्थ थी। ऐसे में सती ने अपने तप से इस महल को भस्म कर दिया। इसके बाद से ही यहां पर जूते-चप्पल मार कर गाली देने की प्रथा शुरू हुई। मान्यता है कि ऐसा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।