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Making Electricity From Waste: दुनिया के इस होटल ने अपनाई कूड़ा-करकट के निस्तारण की अजब गजब तकनीक

locationनई दिल्लीPublished: Oct 04, 2021 04:28:27 pm

Submitted by:

Tanya Paliwal

Making Electricity From Waste: यह है दुनिया का इकलौता होटल जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना उत्पादित करता है अपशिष्ट से ऊर्जा।

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नई दिल्ली। Making Electricity From Waste: विश्व भर में खाद्य पदार्थों और प्लास्टिक का अपशिष्ट एक बड़ी ही विकराल समस्या का रूप ले चुका है। जो कि वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए ही हानिकारक साबित हो सकता है। इस कचरे के निस्तारण के लिए बहुत से वैज्ञानिक और अन्य लोग प्रयास कर रहे हैं और सभी इससे परेशान हैं। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक स्थान ऐसा भी है जहां इस कचरे का उपयोग बड़े ही बेहतर ढंग से किया जा रहा है। तो चलिए जानते हैं कि उस स्थान का नाम और वहां उपयोग की जा रही तकनीक के बारे में…

जी हां, यह सत्य है कि इस स्थान पर खाद्य और प्लास्टिक अपशिष्ट से बनी बिजली का उपयोग किया जाता है। और यह स्थान है जापान के टोक्यो का एक होटल। इस होटल का नाम है, ‘कावासाकी किंग स्काइफ्रंट टोक्यू रे’। जहां पर अपशिष्ट से बनी हाइड्रोजन को ऊर्जा के रुप में उपयोग किया जाता है। यह होटल विश्व की पहली ऐसी जगह है जहां कूड़े-करकट से बनी ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है।

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तोशिबा कंपनी का आविष्कार-
आपको बता दें कि इस तकनीक को तोशीबा कंपनी में ईजाद किया है। यह एक जापानी कंपनी है। टोक्यो में स्थित ‘कावासाकी किंग स्काइफ्रंट टोक्यू रे ‘ होटल की 30 प्रतिशत हाइड्रोजन ऊर्जा को प्लास्टिक कचरे से बनाया जाता है और बाकी की 70 प्रतिशत ऊर्जा को 70 फूड वेस्ट यानी खाद अपशिष्ट से बनाया जाता है। इस तकनीक की एक विशेष बात यह है कि, इसमें हाइड्रोजन ईंधन सेल सिस्टम बिना कार्बन उत्सर्जन किए ही हाइड्रोजन को बिजली में बदल देता है। जिससे पर्यावरण को भी कोई हानि नहीं होती है। इसके अलावा इस तकनीक के तहत निश्चित मात्रा में ईंधन सेल सिस्टम से पाइप के माध्यम से हाइड्रोजन पहुंचती रहती है। साथ ही इस होटल में आने वाले लोगों के द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं जैसे कंघी, टूथब्रश आदि का उपयोग भी हाइड्रोजन से ऊर्जा बनाने में कर लिया जाता है।

 

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4.50 लाख किलो वाट बिजली की आपूर्ति-
हर साल ‘कावासाकी किंग स्काईफ्रंट टोक्यू रे’ होटल से 3 लाख क्यूबिक नैनोमीटर हाइड्रोजन की आपूर्ति होती है। जिससे साढ़े 4 लाख किलोवाट बिजली पैदा होती है। इस तकनीक द्वारा पैदा हुई बिजली से लगभग 82 घरों की जरुरतों को पूरे 1 साल तक पूरा किया जा सकता है। इसलिए अगर इसी प्रकार से अपशिष्ट का प्रबंधन किया जाए, तो काफी हद तक प्लास्टिक और कचरे की समस्या से निजात पाया जा सकता है।

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