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आखिर क्यों इस मंदिर में जाने से ही डरते हैं लोग

locationनई दिल्लीPublished: Sep 15, 2021 03:35:40 pm

Submitted by:

Tanya Paliwal

जानिए किराडू मंदिर से जुड़ा हुआ वह रहस्य जिसके कारण सूरज अस्त होने के बाद इस मंदिर के आस पास भी कोई नहीं भटकता।

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नई दिल्ली। कहते हैं कि हर प्रश्न का उत्तर अवश्य होता है। परंतु इस संसार में कई वस्तुओं तथा स्थानों से जुड़े हुए कुछ रहस्य ऐसे हैं जिनकी गुत्थी वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं। साथ ही कई मंदिर भी ऐसे हैं जिनके निर्माण आदि से जुड़ी हुई बहुत सी कहानियां चकित करने वाली हैं। विशेषतः भारत में तो काफी ऐसे मंदिर हैं जो अपने अंदर कई राज समेटे हुए हैं।

हम मनुष्य अपने दुखों और भय से मुक्ति के लिए अपने आराध्य अथवा ईश्वर के पास जाते हैं। कहते हैं कि ईश्वर के दर्शन मात्र से एक सुकून की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। परंतु आप जानकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जहां संध्या के समय चारों तरफ डर का माहौल बन जाता है। रात्रि के समय कोई व्यक्ति पल भर भी इस भय से यहां रुकने की हिम्मत नहीं करता कि कहीं वह पत्थर का न बन जाए। राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित इस मंदिर का नाम है, किराडू मंदिर।

 

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राजस्थान के खजुराहो के नाम से विख्यात किराड़ू मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है। अपनी स्थापत्य कला के लिए यह मंदिर विश्व भर में जाना जाता है। कहा जाता है कि 1161 ईसा पूर्व इस स्थान को ‘किराट कूप’ के नाम से जाना जाता था।

यहां के लोगों का मानना है कि काफी वर्षों पहले किराडू में एक सिद्ध साधु अपने कुछ शिष्यों के साथ आए थे। एक दिन जब वह भ्रमण के लिए अपने शिष्यों को वहीं छोड़कर चले गए तो पीछे से एक शिष्य की तबीयत बिगड़ गई। उच्च शिष्य की हालत को देखकर जब बाकी शिष्यों ने गांव वालों से सहायता मांगी तो किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। भ्रमण के बाद जब साधु वहां पहुंचे तो उनकी अनुपस्थिति में घटित घटना का उन्हें पता चला, जिससे वह अत्यंत क्रोधित हो गए। और तब उन्होंने सभी गांव वालों को श्राप दे दिया कि सूर्यास्त होने के बाद सभी लोग पत्थर के बन जाएंगे।

इसके अलावा एक दूसरी हैरान कर देने वाली कहानी भी इस मंदिर से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि साधु के उस शिष्य के बीमार पड़ने पर एक महिला ने साधु के शिष्यों की मदद की थी। इस कारण बाकी गांव वालों को श्राप देने से पहले उस साधु ने महिला से कहा था कि सूरज अस्त होने से पहले वह उस गांव से चली जाए और पीछे मुड़कर ना देखे। परंतु महिला ने साधु की बात को गंभीरता से नहीं लिया तथा पीछे मुड़ कर देख लिया। जिससे तभी से वो पत्थर की बन गई। आज भी मंदिर से कुछ दूर उस महिला की मूर्ति भी स्थापित है।

 

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