भोलेनाथ के मन में भी थी आशंका
शास्त्रों के मुताबिक, माता पार्वती कैलाश पहुंचने के बाद से सोचती थीं कि काश भगवान शिव की कोई बहन होती तो वो उनके साथ रहती। इससे उनका मन लगा रहता हालांकि ये बात उन्होंने कभी किसी से कही नहीं लेकिन भगवान भोलेनाथ तो अंतर्यामी हैं भला उनसे ये बात कैसे छुप सकती थी। ऐसे में एक दिन उन्होंने माता पार्वती से पूछ कर असावरी देवी को उत्पन्त किया। हालांकि वो इस बात को लेकर आशंका थी कि क्या माता पार्वती और असावरी देवी एक-दूसरे के साथ ननद और भाभी का रिस्ता निभा पाएंगी।
ननद ने खत्म कर दिया था पूरा अनाज
बाद में हुआ भी यही, भगवान शिव ने जिन असावरी देवी को उत्पन्न किया था। उनकी काया और रूप बहुत विचित्र था। हालांकि इसके बावजूद माता पार्वती अपनी ननद को देखकर काफी खुश हुईं। उन्होंने अपनी ननद का स्वागत किया फिर खाने पर बुलाया। लेकिन असावरी देवी ने जब खाना शुरू किया तो माता पार्वती का सारा भंडार खाली हो गया। महादेव और अन्य कैलाश वासियों के लिए कुछ भी शेष न बचा। वैसे तो ननद के इस व्यवहार से माता पार्वती को काफी बुरा लगा, लेकिन उन्होंने किसी से कुछ कहा नहीं।
माता पार्वती के भिजवाया ससुराल
इसके बाद माता पार्वती ने असावरी देवी को पहनने के लिए नए वस्त्र भेंट किए मगर वह इतनी मोटी थीं कि उन्हें वस्त्र छोटे पड़ गए। जिसके बाद असावरी देवी ने उनका मजाक बनाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं माता पार्वती के साथ हंसी ठिठोली करते हुए उनको अपने पैरों की दरारों में छुपा लिया। उसी समय माता पार्वती को खोजते हुए वहां पर भोलेनाथ आ पहुंचे और उन्होंने सारी चीजें अपनी आखों से देख लीं। तब माता पार्वती ने भोलेनाथ से कहा कि आप अपनी बहन को ससुराल भेज दें। मुझसे गलती हो गई जो मैंने ननद की इच्छा की। यही वजह है कि प्राचीन काल से आरंभ हुआ ननद भाभी के बीच नोक-झोंक का सिलसिला आज तक चल रहा है।