ये है दुनिया का सबसे डरावना और रहस्यमय जंगल, एक बार जो अंदर गया फिर कभी नहीं आता लौटकर वापस!
दरअसल, मेट्समोर को कभी दुनिया का सबसे खतरनाक न्यूक्लियर पावर प्लांट ( nuclear power plant ) बताया गया था। ऐसा इसलिए क्यों कि ये भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है। ये अर्मेनिया की राजधानी येरेवन से सिर्फ 35 किलोमीटर यानि 22 मील की दूरी पर स्थित है। यहां से टर्की की सरहद के उस पार बर्फ से ढंके माउंट अरारात की झलक दिखती है। वहीं साल 1988 में सब कुछ बदल गया और 6.8 तीव्रता के भूकंप ने अर्मेनिया में तबाही मचा दी। भूकंप में लगभग 25 हजार लोग मारे गए थे। वहीं सुरक्षा कारणों के चलते परमाणु बिजली घर को बंद कर देना पड़ा।
परमाणु बिजलीघर बंद हो जाने पर अर्मेनिया सरकार को भारी बिजली संकट का सामना करना पड़ा था। पूरे देश में बिजली सप्लाई की राशनिंग करनी पड़ी थी। लोगों को दिन में सिर्फ़ एक घंटे बिजली सप्लाई दी जाती थी। वहीं इस भूकंप के बाद यहां सब कुछ बदल गया। आज मेट्समोर की आबादी करीब 10,000 लोगों की है, जिनमें ढेर सारे बच्चे हैं। रिएक्टर के कूलिंग टावर से करीब पांच किलोमीटर दूर बने अपार्टमेंट में रहने वाले लोग बिजली की कमी और प्लांट के संभावित खतरे के बीच संतुलन साधे हुए हैं। इस शहर को मरम्मत की जरूरत है। यहां की छतें टपकती हैं। पुराने रेडिएटर को काटकर बेंच बनाई गई है। ऐसे में यहां के लोग हमेशा ही डर के साए में जीते हैं।