हिंदू प्राचीन ग्रंथों के अनुसार हिमााचल प्रदेश के मणिकर्ण नामक स्थान पर महादेव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी। बताया जाता है कि एक बार पार्वती जी के कान का कुंडल पानी में गिर गया था। जो हते हुए पाताल लोक पहुंच गया था। इसे ढूंढ़ने के लिए शिव जी ने अपने शिष्यों को आदेश दिया था। मगर उनके हाथ लगी नाकामयाबी से शिव जी नाराज हो गए थे। जिसके चलते उनका भयानक स्वरूप देखने को मिला था।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शिव जी का ये गुस्सैल रवैया देख वहां नैना देवी प्रकट हुई थीं। उन्होंने शिव जी की सहायता की। वो पाताल लोक में जाकर शेषनाग से मणि लौटाने के लिए कहा और तब शेषनाग ने भगवान शिव जी को वह मणि उपहार स्वरुप दे दी। तब से वहां शिव जी का एक मंदिर है। पास में ही एक गर्म पानी का स्त्रोत भी है। कहा जाता है कि जिन लोगों को त्वचा रोग या अन्य कोई समस्या होती है, उन्हें इस कुंड में स्नान करने से लाभ होता है। इसके अलावा यहां पास में एक गुरुद्वारा भी है, जहां दर्शन करने से लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं।