अब सवाल यह है कि इन बालों का होता क्या है। क्या यह बाल यूंही फेक दिए जाते हैं। यदि आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं। इन बालों का बाकायदा व्यवसाय होता है और इनसे लाखों रुपए की आमदनी होती है। अधिकतर पश्चिमी देशों में इन बालों की अत्यधिक मांग है। इसके पीछे यह कारण है कि मंदिरों में बाल उतरवाने वाली ज्यादातर महिलाएं ऐसा आस्था के कारण करती हैं, इससे पहले उनहोंने कभी भी अपने बाल नहीं कटवाए होते हैं। इसलिए यह लम्बे और सीधे होते हैं। जिनकी ज्यादा मांग होती है। इसके अलावा इनमें से ज्यादातर महिलाओं ने अपने बालों को ना तो कलर करवाया होता है और ना ही दक्षिण भारतीय महिलाएं ज्यादा शेम्पु का प्रयोग करती है, इस कारण से उनके बाल टूटे हुए या डैमेज नहीं होते। एक कारण यह भी है इससे भी इनकी मांग बढ़ जाती है। नारीयल के तेल के अधिक प्रयोग से भी इनके बाल अधिक घने, मुलायम होते हैं।
इन बालों को एक अच्छी कीमत में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचा जाता है। बताया जाता है कि, वहां इनका उपयोग ब्यूटी पार्लर में विग बनाने मे किया जाता है। इसके अलावा भी कई ऐसे प्रोडक्ट्स हैं जिनमें इन बालों का इस्तेमाल किया जाता है। खबरों के मुताबिक मंदिर इन बालों से कमाएं गए पैसों का उपयोग जनकल्याण में करते हैं। इस पैसे से स्कूल, अनाथालय, अस्पताल आदि बनवाए जाते हैं। लेकिन इसका पूरा हिसाब क्या होता है किसी को पता नहीं है। खबरों के अनुसार इन बालों के कारोबार में अवैध कारोबारी भी शामिल हैं। कभी-कभी गरीब महिलाओं को बहलाकर या लालच देकर बाल दान करवाते हैं जिसके बदले ये कारोबारी बढ़िया मुनाफा कमाते हैं।