शख्स का एक जिगरी दोस्त था , जो पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखता था और शादीशुदा भी था। जिसके बाद आरोपी शख्स ने अपने दोस्त से एक समझौता किया। जिसके तहत आरोपी अपने दोस्त की पत्नी से कोर्ट मैरिज करेगा, और उसे चुनावी मैदान में उतारेगा। आरोपी की चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर दूसरा शख्स मान गया और अपनी ही पत्नी का निकाह आरोपी के साथ करा दिया। किस्मत ने साथ दिया तो महिला नगर पंचायत का चुनाव जीत भी गई। चुनाव जीतने के बाद महिला क्षेत्र की चेयरमैन बन गई। फिर असली बवाल यहां से शुरू हुआ।
चुनाव जीतने के बाद कुंडा थाना क्षेत्र का रहने वाले पीड़ित शख्स ने जब आरोपी दोस्त से अपनी पत्नी को वापस भेजने की बात कही, तो आरोपी उससे बहाने मारकर बात को टालता रहा। आरोपी का कहना था कि उसकी पत्नी चेयरमैन के कामों में काफी व्यस्त है। आरोपी ने दोस्त की पत्नी को वापस भेजने के लिए 2 अगस्त की तारीख दी। फिर 2 अगस्त को दोस्त की पत्नी को भेजने के बजाए उसने उससे निकाह कर लिया। इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि महिला भी अपने पति और बच्चों को छोड़, आरोपी के साथ ही रह रही है।
आरोपी शख्स पहले से ही शादीशुदा था, उसने अपनी दोस्त की पत्नी से दूसरी शादी कर ली। तो वहीं पीड़ित शख्स का कहना है कि उसने अपनी पत्नी को तलाक नहीं दिया, लिहाज़ा शरियत के कानूनों के हिसाब से आरोपी और उसकी पत्नी की शादी नाजायज़ है। पीड़ित ने पूरे मामले को लेकर जसपुर न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखित में शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई है। पीड़ित की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कुंडा थाना पुलिस से जवाब मांगा है, क्योंकि पुलिस ने पीड़ित की शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया था।