प्रोटीन से भरपूर होते हैं ये कीड़े
हो सकता है कि इन कीड़ों से तैयार डिश को देखकर आपको काफी अजीब लगे लेकिन पश्चिमी देशों में इन डिशेस को काफी पसंद किया जाता है। खास बात यह भी है कि इन कीड़ों को पालने के लिए पोल्ट्री फार्म के जैसे अधिक संशाधनों की जरूरत नहीं पड़ती है। इन्हें बड़े आराम से कम खर्चे में पाला जा सकता है और इन्हें बेचकर अच्छी आमदनी भी की जा सकती है। माना जाता है कि इन छोटे कीडों में नौ तरह के अमीनो एसिड होते हैं जो मानव आहार के लिए जरूरी हैं। यही कारण है कि लोग बड़े चाव से इसे खाते हैं।
कई बीमारियों से बचाती है लाल चटनी
आदिवासी इलाकों में वकायदा बाजार में लाल चीटियां और इसकी चटनी बेंची जाती है। इसे स्थानीय भाषा में चापड़ा कहते हैं। माना जाता है ये चटनी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। इसमें प्रोटीन के साथ आयरन और कैल्सियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जो किसी बीमारी को होने से रोकती है। मलेरिया, पीलिया और अन्रू जलजनित बीमारियां में पीड़ित होने पर इसे खाने से काफी आराम मिलता है।
चीटियों से कटवाते हैं खुद को
बता दें कि जब किसी आदिवासी को साधारण बुखार होता है तो वे पेड़ के नीचे बैठकर लाल चींटियों से खुद को कटवाते हैं, इससे बुखार का असर कम हो जाता है। खास बात यह है डॉक्टर भी इस बात को स्वीकार करते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इन चीटियों में फॉर्मिक एसिड होने से मेडिसिन गुण होते हैं। गर्मियों में धूल और गर्म हवाओं के कारण आंखों में संक्रमण हो जाता है, तब भी इसका सेवन काफी लाभदायक होता है।