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इस मंदिर में गणपति पुजारियों को करते हैं परेशान, नजर फेरते ही करते हैं ये शरारत

locationनई दिल्लीPublished: Jun 29, 2018 12:30:34 pm

Submitted by:

Priya Singh

कहा जाता है, विघ्नहर्ता स्वयंभू गणेश यहां आने वाले हर भक्त के पाप को हर लेते हैं।

mystery of kanipakam vinayaka temple

इस मंदिर में गणपति पुजारियों को करते हैं परेशान, नजर फेरते ही करते हैं ये शरारत

नई दिल्ली। वैसे तो गणपति बप्पा के कई रूप हैं और देश में अनेकों ऐसे गणेश मंदिर भी हैं जो हमेशा श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बने रहते हैं। लेकिन कणिपक्कम विनायक मंदिर के गर्भगृह में गणेश की मूर्ति को हर साल नया कवच पहनाया जाता है। ऐसा क्यों है कि उन्हें हर साल नया कवच पहनाया जाता है, जानकारी के लिए बता दें कि, गर्भगृह में कई आकार के कवच रखे हुए हैं। लोगों का कहना है स्वयंभू गणेश की इस मूर्ति की खासियत यह है कि जैसे-जैसे मूर्ति का आकार बढ़ता है वैसे-वैसे पुराने कवच छोटे पड़ते जाते हैं।

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कहा जाता है, स्वयंभू गणेश यहां आने वाले हर भक्त के पाप को विघ्नहर्ता हर लेते हैं। आस्था और चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे कणिपक्कम विनायक का ये मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में मौजूद है। मंदिर के अंदर सबको जाने की अनुमति नहीं है लेकिन अंदर पड़े कवचों की संख्या देख इस चमत्कार का अंदाजा लगाया जाता है। मंदिर में सबको जाने की अनुमत नहीं होती। लोगों को हो रही इस असुविधा को देखते हुए मंदिर परिसर में ही बने एक तालाब के बीचोबीच गणेश गर्भगृह मंदिर की ही प्रतिमूर्ति स्थापित की गई है जिससे अंदर ना जा पाने वाले श्रद्धालु प्रतिमा के दर्शन वहीं कर लेते हैं।

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कहते हैं कि इस मंदिर में मौजूद विनायक की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। इस बात से आपको भी हैरानी हो रही होगी, लेकिन यहां के लोगों का मानना है कि प्रतिदिन गणपति की ये मूर्ति अपना आकार बढ़ा रही है। इस बात का प्रमाण उनका पेट और घुटना है, जो बड़ा आकार लेता जा रहा है। कहा जाता है कि विनायक की एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने उन्हें एक कवच भेंट किया था, लेकिन प्रतिमा का आकार बढऩे की वजह से अब उसे पहनाना मुश्किल हो गया। इस मंदिर का निर्माण 11 वी शताब्दी में चोल राजा कुलोठुन्गा चोल प्रथम ने करवाया था और बाद में फिर विजयनगर वंश के राजा ने सन 1336 में इस मंदिर को बहुत बड़ा मंदिर बनाने का काम किया था।

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