सूर्य से 60 लाख गुना ज्यादा वजनी है ये ब्लैकहोल
दरअसल, शोधकर्ताओं ने ब्लैकहोल द्वारा ब्रह्माण्डीय उथल-पुथल के तहत एक सूर्य के आकार के तारे को इसमें टूट कर समाते देखा गया है।बताया जा रहा है कि ये ब्लैकहोल सूर्य से 60 लाख गुना ज्यादा वजनी है। वैज्ञानिकों ने इस घटना को ज्वारीय विघटन (टाइडल डिसरप्शन) बताया हैं। इस खगोलीय घटना को नासा के उपग्रह ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) और नील गेहरेल्स स्विफ्ट की मदद से देखा गया है।इस घटना की जानकारी देते हुए नासा ने बताया कि, ब्रह्माण्ड में ऐसी ज्वारीय विघटन होना बहुत ही विरल है। दस हजार से एक लाख वर्षों में बीच आकाशगंगा में यह घटना होती है।नासा ने कहा अब तक केवल 40 बार ही ऐसी घटना देखी गई हैं।पहले की तुलना में ज्यादा ‘भूखा’ हो गया है ब्लैकहोल
एस्ट्रोफिजिकल जनरल लेटर्स में छपे एक रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्लैकहोल सैजिटैरस ए स्टार पहले की तुलना में ज्यादा ‘भूखा’ हो गया है जिससे यह आसपास की चीजों को ज्यादा तेजी से अपने अंदर समाहित कर रहा है। एक ब्लैकहोल खुद से किसी भी तरह का प्रकाश नहीं निकालता है। लेकिन जो चीजें इसमें समाती जाती हैं वो इसके प्रकाश का स्रोत हो सकती हैं। हालांकि इन परिवर्तनों का पृथ्वी या इस आकाशगंगा के किसी भी ग्रह पर असर नहीं पडे़गा।347 वैज्ञानिकों की टीम कर रही है रिसर्च
बता दें दुनिया के अलग अलग देशों के 347 वैज्ञानिकों की एक टीम ब्लैकहोल के ऊपर काम कर रही है। इस टीम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वैज्ञानिक शेप डोएलेमान ने कहा है कि जिस तरह 2019 में ब्लैकहोल की तस्वीर आई वैसे ही 2020 में ब्लैकहोल का वीडियो भी जारी किया जा सकेगा।