उनके मुताबिक गर्म और नम जलवायु में रहने वालों लोगों की नाक अक्सर अधिक चौड़ी होती है। वहीं ठंडे और सूखे प्रदेशों में रहने वाले लोगों की नाक पतली होती है। मानव इतिहास से हैं संबंध
जैदी के अनुसार थॉमसन नियम का उपयोग अब तक खोपड़ी मापने में होता था, पर अब इस अध्ययन का उपयोग नाक का आकार मापने में भी किया जा रहा है। इस शोध में वैज्ञानिकों ने नाक की चौड़ाई, लंबाई, ऊपरी हिस्से आदि का अध्ययन किया।
इस परीक्षण में पाया गया कि इसका संबंध जटिल मानव इतिहास से है, लेकिन अब भी कई चीजों को पता लगाया जाना बाकी है। आकार भी अहम अभी तक माना जाता था कि नाक का काम गंध पहचानना और सांस लेना है, लेकिन नए शोध बताते है कि नाक का आकार भी बहुत अहम होता है और यह कई इंसानी क्षमताओं के बारे में बताता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन लोगों की नाक के छिद्र पतले होते हैं, वे ज्यादा बेहतर तरीके से कार्य को अंजाम देते है और संतान पैदा करने की उनकी क्षमता भी मोटी नाक वाले लोगों की तुलना में अधिक होती है। शोधकर्ता जैदी के अनुसार, यह शोध थॉमसन नियम का पूरी तरह से समर्थन करता है।