निकाह के 2 हफ्ते बाद पता चला ‘पत्नी’ थी मर्द, पड़ोसी ने खोला ये चौंकाने वाला राज
इस सीरियल किलर नाम था जावेद इकबाल। दिसंबर 1999 को लाहौर के एक उर्दू अखबार के संपादक को एक चिट्ठी मिलती है, जिसमें लिखा था, ‘मेरा नाम जावेद इकबाल है और मैंने 100 बच्चों का कत्ल किया है और उनकी लाश को तेजाब डालकर गला दिया।’ उसने चिट्ठी में ये भी बताया था कि उसने जितने भी बच्चों का कत्ल किया था, उसमें से अधिकतर घर से भागे हुए या अनाथ थे। ऐसी ही चिट्ठी उसने लाहौर पुलिस को भी भेजी थी, जिसमें उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया था। इस सीरियल किलर ने 100 बच्चों को मारने की कसम खाई थी। पुलिस ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन संपादक ने अपना एक पत्रकार वहां भेजा। पत्रकार वहां गया तो घर के अंदर खून के निशान मिले, दो बड़े बैग में बच्चों को जूते और कपड़े पड़े थे और एक डायरी थी जिस पर बच्चों के नाम और उनके बारे में जानकारी लिखी थी। साथ ही घर के बाहर हाइड्रोक्लोरिक एसिड से भरे दो कंटेनर भी थे, जिसमें बच्चों की हड्डियों के ढांचे थे।
ऐसे में पत्रकार ने दफ्तर जाकर संपादक को वहां की बात बताई और पुलिस को जानकारी दी गई। पुलिस पहुंची और जानकारी इकट्ठा करने में जुट गई। पुलिस को यहां एक नोटबुक मिली, जिसमें लिखा था कि कत्ल के सबूत के तौर पर मैंने कुछ लाशों को छोड़ रखा है, जिन्हें मैं ठिकाने नहीं लगा पाया। साथ ही लिखा था कि मैं रावी नदी में कूदकर आत्महत्या करने जा रहा हूं। पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया और ये पाकिस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन था। पुलिस ने जावेद को दो साथियों को गिरफ्तार किया। हालांकि, एक ने छत से कूदकर अपनी जान दे दी। दूसरी तरफ जावेद उर्दू अखबार के दफ्तर गया। यहां उसने इंटरव्यू दिया और फिर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद जावेद ने पुलिस को बताया कि जब उसकी उम्र 20 साल के करीब थी, तब उसके ऊपर दुष्कर्म का इल्जाम लगाकर उसे जेल भेज दिया गया, जबकि उसने ऐसा किया ही नहीं था बल्कि उसे साजिश के तहत फंसाया गया था। इस दौरान उसकी मां हमेशा जेल में उससे मिलने आती थी, लेकिन बेटे की रिहाई के इंतजार में एक दिन उसकी मां की मौत हो गई, जिसके बाद उसने कसम खाई कि जैसे उसकी मां ने रोते-रोते अपनी जान गंवाई है, वैसे ही वो कम से 100 मांओं को रुलाएगा। इसके बाद उसकी हत्या करने का सिलसिला शुरू हुआ।