देश में ऐसे कई सारे मंदिर हैं जहां लोग भगवान का पूजा-पाठ करने के लिए जाते हैं। हालांकि ऐसे भी कई मंदिर हैं जहां देवताओं की पूजा नहीं होती है बल्कि महाभारत के कुछ मुख्य किरदारों को लोग पूजते हैं। आइए जानते हैं कि उन मंदिरों के बारे में जहां लोग जाते तो हैं, लेकिन भगवान को पूजने के लिए नहीं।
इरावन का मंदिर
अर्जुन और नागराज कौरव्य की पुत्री नागकन्या उलूपी के बेटे का नाम इरावन था। किन्नर इरावन को ही देवता मानकर उनकी पूजा करते हैं। देशभर के किन्नर इनको देवता मानकर पूजते हैं। तमिल नाडु के कूवागम गांव में उनका एक मंदिर है जहां हजारों किन्नर उनकी याद में एकत्रित होते हैं।
सहदेव का मंदिर
सहदेव पांचों पांडवों में से एक थे और वह सबमें छोटे भी थे। हिमाचल प्रदेश के सोलन गांव में सहदेव का एक मंदिर है जिसे महादेव के दूत के नाम से भी जाना जाता है। इसे लोग एक चमत्कारिक मंदिर मानते हैं क्योंकि यहां एक गुफा है जिसके अंदर से कभी-कभी ढोल-नगाड़ों की आवाजें आती हैं।
बर्बरीक का मंदिर
घटोत्कच और अहिलावती के पुत्र थे बर्बरीक और इसके साथ ही वह महाभारत के एक महान योद्धा भी थे। राजस्थान के सीकर जिले में उनका मंदिर स्थित है। खाटू श्याम के नाम से यह मंदिर लोगों में मशहूर है।
शकुनि मंदिर
दुर्योधन के मामा और महाभारत के अहम किरदार शकुनि को भला कौन नहीं जानता!केरल के कोल्लम जिले के मायम्कोट्टू मलंचारुवु में उनका मंदिर स्थित है जिसे पवितत्रेश्वरम के नाम से जाना जाता है।
कर्ण का मंदिर
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सारनौल में दानवीर कर्ण का मंदिर बना हुआ है और इसे लकड़ियों से बनाया गया है। इसके अलावा मेरठ में भी उनका एक मंदिर है।