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इस गांव में साल के तीन महीने नहीं जलाते चूल्हे, पीछे की वजह है मार्मिक

locationनई दिल्लीPublished: May 04, 2019 04:22:51 pm

Submitted by:

Priya Singh

इस गांव में है अजीबोगरीब रिवाज़
बक्सर के उमरपुर गांव में लगातार 3 महीनों तक नहीं जलाते चूल्हे
चैत, वैशाख और जेठ माह में लोग इस रिवाज़ का करते हैं कड़ाई से पालन

people of buxar umarpur do not prepare food 3 months of the year

इस गांव में साल के तीन महीने नहीं जलाते चूल्हे, पीछे की वजह है मार्मिक

नई दिल्ली। भारत के कई राज्य ऐसे हैं जहां अजीबोगरीब प्रथाएं निभाई जाती हैं। अक्सर ऐसे रीती-रिवाज़ों की कहानी बेबुनियाद होती है लेकिन कुछ रिवाज़ों के पीछे की कहानी बेहद मार्मिक होती है। अब बक्सर ( Buxar ) जिले के इस गांव को ही लीजिए। इस गांव में चैत, वैशाख और जेठ मह में चूल्हा जलाने पर पाबंदी है। गांव के लोग इसका कड़ाई से पालन करते हैं। इसके पीछे की वजह क्या है आज हम आपको बताएंगे। साल के इन तीनों महीनों में बक्सर के उमरपुर गांव के लोग सत्तू -चबेना या अन्य किस्म के ड्राय फ्रूट खाकर खुद को ज़िंदा रखते हैं। इन तीनों महीनों में यहां के लोग चूल्हे पर दूध भी गरम नहीं करते। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब ठंढे दूध का सेवन करते हैं।

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हम बात कर रहे हैं बक्सर जिला मुख्यालय से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर बक्सर कोईलवर रिंग बांध पर बसे गांव दियारा क्षेत्र के उमरपुर गांव की। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यहां लगभग 140 झोपड़ीनुमा घर बने हैं। गंगा के कछार वाले इस इलाके के लोगों का पेशा सब्ज़ी उगाना है। यहां के लोग परवल ,तारबूज ,खीरा ,ककड़ी ,भिंडी, टमाटर और करेला आदि सब्जियों की खेती करते हैं। सब्ज़ियों की खेती ही इस गांव के लोगों की आय का मुख्य स्रोत है।

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बता दें कि लगातार तीन महीने चूल्हा न जलाने के पीछे का कारण यह है कि चैत, वैशाख और जेठ में पिछले कुछ सालों में सात बार गांव पूरी तरह जल चुका है। यहां के निवासियों ने मिलकर पंचायत के माध्यम से तय किया कि चैत, वैशाख और जेठ में चूल्हा नहीं जलेगा। इस इलाके पछुआ हवा बहुत तेज़ी से बहती है खासकर इन महीनों में। लिहाजा एक चिंगारी भी पूरे के पूरे गांव को जला देने का माद्दा रखती है। यही वजह है कि यहां के लोग आग नहीं जलाते।

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