अजब गजब

मरे हुए बच्चों को फिर से पाने के लिए ये ‘टोटका’ कर रहे हैं यहां के लोग, ऐसे करते हैं लाल कपड़े का इस्तेमाल

इन प्रतिमाओं को स्थापित करने का मकसद मां का अपने अजन्मे बच्चे को श्रद्धांजलि देना है और ऐसा करने के पीछे परिवार वालों की मंशा ये रखती है कि…

Sep 11, 2018 / 12:43 pm

Priya Singh

मरे हुए बच्चों को फिर से पाने के लिए ये ‘टोटका’ कर रहे हैं यहां के लोग, ऐसे करते हैं लाल कपड़े का इस्तेमाल

नई दिल्ली। जो तस्वीर आप देख रहे हैं वो सौतामा प्रांत के एक बौद्ध मंदिर की है। यहां अजन्में बच्चों की याद में स्मारक बनाए गए हैं, ये उन बच्चों के हैं जो जन्म से पहले गर्भपात के कारण दुनिया में नहीं आ सके। आज के समय में मंदिर में 15 हज़ार से भी ज्यादा बच्चों की मूर्तियां लगाई जा चुकी हैं। और इनकी संख्या आए दिन बढ़ती जा रही है। जानकारी के लिए बता दें कि, इन्हें जिजो स्टैच्यू कहा जाता है। इन प्रतिमाओं को स्थापित करने का मकसद मां का अपने अजन्मे बच्चे को श्रद्धांजलि देना है और ऐसा करने के पीछे परिवार वालों की मंशा ये रखती है कि फिर ये बच्चे इसी परिवार में जन्म ले सकें। साथ-ही-साथ इन प्रतिमाओं के पास आकर वे अपने गम को थोड़ा कम कर सकें।

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Buddhist temple for unborn children” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/09/11/bacche_3394735-m.jpg”>कब शुरू हुई थी ये परंपरा…

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब ताइवान और कोरिया में भी ऐसे स्मारक बनाए गए हैं, बता दें, मोजुको कुयो की यह परंपरा 1970 में शुरू हुई जो 1980 तक बहुत ही लोकप्रिय हो गई। यहां मोजुको कुयो का मतलब का है मृत शिशु है। कोरिया भी पिछले कुछ समय से ऐसे अनुष्ठान कर रहा है, आपको जानकर हैरानी होगी कि यह इतना लोकप्रिय हो गया है कि, अब इस अनुष्ठान को अमेरिका में भी किया जाता है। बौद्ध परंपरा में माना जाता है कि बच्चों को बुरी आत्माओं से बचाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करना चाहिए। ये अजन्मे मृत बच्चे की आत्मा को शांति देता है। हजारों लोग यहां सोमवार को जुटकर उस मृत बच्चे के लिए प्रार्थना करते हैं, जो दुनिया में नहीं आ सका और उनके दोबारा आने की कामना करते हैं। उनका कहना है कि, ऐसा करने से उनके मन को शांति मिलती है। भ्रूण स्मारक सेवा, जापानी लोगों के लिए एक समारोह की तरह है।

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