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बिछिया से नॉर्मल डिलीवरी का है सीधा संबंध, इसे बैकडेटेड समझने वाले खुद मोल रहे अपनी जिंदगी से खतरा

भले ही आजकल कुछ लोग बिछिया को बैकडेटेड या अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन इसका सीधा संबंध मेडिकल साइंस से है।

Sep 22, 2018 / 01:53 pm

Arijita Sen

बिछिया से नॉर्मल डिलीवरी का है सीधा संबंध, इसे बैकडेटेड समझने वाले खुद मोल रहे अपनी जिंदगी से खतरा

नई दिल्ली। हमारे देश में कई तरह की रीतियों और परंपराओं का चलन है जिसका पालन सदियों से अब तक किया जा रहा है। आज हम आपको हिंदू धर्म के एक ऐसे ही परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को आज भी पता नहीं है।

हम यहां बात कर रहे हैं बिछिया के बारे में, जिसे शादी के बाद अधिकतर महिलाएं अपने दोनों पैरों की दूसरी उंगली में पहनती हैं। शहरी क्षेत्रों में भले ही महिलाएं आजकल बिछिया पहनने से कतराती हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी महिलाएं पैरों में बिछिया पहनती हैं।

इसे भले ही वर्तमान समय में कुछ लोग बैकडेटेड या अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन इसका संबंध सीधे मेडिकल साइंस से है। यह हमारी गलती है कि हम इसके बारे में नहीं जानते हैं।

 

बिछिया हमेशा दोनों पैरों की दूसरी अंगुली में ही पहनी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि, पैर की दूसरी अंगुली की तन्त्रिका का सम्बन्ध गर्भाशय से होता है और यह हृदय से होकर गुजरती है। इसी वजह से एक्यूप्रेशर के कारण बिछिया पहनी जाती है जिससे गर्भाशय को लाभ पहुंचता है।

 

बिछिया

जैसा कि हम जानते हैं कि गर्भाशय का कार्य गर्भ धारण करना है। शादी के बाद एक निश्चित समयावधि के बाद हर महिला को गर्भधारण करना होता है। 9 महीने के बाद प्रेग्नेंसी पीरियड के कंम्प्लीट हो जाने पर डिलीवरी का टाइम आता है। प्रसव प्रक्रिया में गर्भाशय की मांशपेशियों में खिंचाव होना एक सामान्य बात है।

 

बिछिया

बिछिया की वजह से पैर की उंगलियों में दवाब पड़ती है। ऐसे में उन उगलियों से जुड़ी नसें गर्भाशय की मांसपेशियों के खिंचाव में लचीलापन पैदा करती है। जिससे बिना किसी कॉम्प्लीकेशन्स के नॉर्मल डिलीवरी के होने की संभावना रहती है।

शास्त्रों के साथ-साथ विज्ञान भी इस बात को मानता है कि,दोनों पैरों में चांदी की बिछिया पहनने से पीरियड्स नियमित हो जाती है। चांदी को एक अच्छा सुचालक माना जाता है। यह धरती से प्राप्त होने वाली ध्रुवीय उर्जा को अपने अंदर खींचकर पूरे शरीर तक पहुंचाती है, जिससे महिलाएं तरोताजा महसूस करती हैं।

 

blood circulation

आयुर्वेद में ऐसा कहा गया है कि, बिछिया साइटिक नर्व की एक नस को दबाने का काम करती है। इससे आस-पास की दूसरी नसों में रक्त का प्रवाह तेज गति से होता है और गर्भाशय, ब्लैडर व आंतों तक रक्त का प्रवाह ठीक से होता है। सिर्फ आयुर्वेद ही नहीं बल्कि चीनी एक्यूप्रेशर चिकित्सा में भी महिलाओं की फर्टिलिटी बढ़ाने में बिछिया को महत्वपूर्ण माना गया है।हालांकि पहले इसे केवल शादीशुदा महिलाएं ही पहनती थीं, लेकिन वक्त के साथ-साथ बदलते फैशन ट्रेंड के चलते इसे आजकल अनमैरिड लड़कियां भी पहनती हैं।

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