6 सालों से भर रहे गरीब बच्चों का पेट
कुंडु यह काम पिछले 6 सालों से कर रहे हैं। छ साल पहले कुंडु और उनके सहयोगियों ने आसनसोल की गलियों के बच्चों को रोज खाना खिलाने के लिए ताजा भोजन तैयार करने का काम भी शुरू किया था। इसके साथ ही इन बच्चों को भोजन और पोषण के संबंध में आवश्यक जानकारी भी देते हैं। कुंडु में वो 'भोजनवाला' के नाम से मशहूर हैं।
22, 000 मीट्रिक टन खाना होता है बर्बाद
साल 2016 में चंद्र शेखर कुंडू ने फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया से ‘सूचना के अधिकार’ के तहत भोजन की बर्बादी के बारे में जानकारी मांगी थी। इसपर जवाब आया था कि "भारत में हर साल 22, 000 मीट्रिक टन खाद्यान्नों की बर्बादी होती है। यदि खाने को बचा लिया जाए तो 1 करोड़ से अधिक आबादी का पेट भरा जा सकता है।"
कुंडु यह काम पिछले 6 सालों से कर रहे हैं। छ साल पहले कुंडु और उनके सहयोगियों ने आसनसोल की गलियों के बच्चों को रोज खाना खिलाने के लिए ताजा भोजन तैयार करने का काम भी शुरू किया था। इसके साथ ही इन बच्चों को भोजन और पोषण के संबंध में आवश्यक जानकारी भी देते हैं। कुंडु में वो 'भोजनवाला' के नाम से मशहूर हैं।
22, 000 मीट्रिक टन खाना होता है बर्बाद
साल 2016 में चंद्र शेखर कुंडू ने फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया से ‘सूचना के अधिकार’ के तहत भोजन की बर्बादी के बारे में जानकारी मांगी थी। इसपर जवाब आया था कि "भारत में हर साल 22, 000 मीट्रिक टन खाद्यान्नों की बर्बादी होती है। यदि खाने को बचा लिया जाए तो 1 करोड़ से अधिक आबादी का पेट भरा जा सकता है।"

एक घटना ने बदल दी ज़िंदगी
जब ये सवाल चंद्र शेखर से पूछा गया कि आखिर उन्हें RTI डालने का ख्याल कैसे आया? तो उन्होंने जवाब दिया, "वर्ष 2015 की बात है, मेरे बेटे, श्रीदीप के जन्मदिन पर हमने एक पार्टी रखी थी। इस पार्टी के बाद जो खाना बच गया उसे हमने होटल के स्टाफ को दे दिया, फिर भी काफी खाना बच गया तो उसे फेंक दिया गया। उस समय मुझे नहीं पता था कि मैंने कितनी बड़ी गलती की थी। जब हम घर लौटने लगे तब मैं पैसे निकालने के लिए एक एटीएम पर रुका, तभी मैंने वहां देखा कि पास में रखे डस्टबिन से दो बच्चे कुछ चुनकर खा रहे हैं। उन बच्चों को इस हालत में देखकर मुझे काफी बुरा लगा। मेरे मन में विचार आया कि अभी-अभी हम कितना सारा खाना बर्बाद करके आ रहे हैं और यहाँ इन बच्चों को कूड़े से उठाकर खाना खाना पड़ रहा है।"
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इसी घटना ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। घटना को याद करते हुए उन्होंने बताया, "उस दृश्य से दुखी होकर मैं उनको अपने अपने घर ले गया और उस समय हम जो कुछ व्यवस्था कर पाए वह उन बच्चों को दे दिया। बचा हुआ भोजन फेंककर मैं खुद को कोस रहा था कि आखिर मुझे पहले कभी ऐसा विचार क्यों नहीं आया कि भोजन फेंकना नहीं चाहिए। मैं उस रात सो नहीं पाया।"फिर शुरू किया गरीब बच्चों का पेट भरने का काम
इसके बाद उन्होंने कुछ करने की ठानी और अपने कॉलेज की कैन्टीन और आसपास की ऐसी जगहों का पता लगाना शुरू किया जहां हर रोज खाना अधिक मात्रा में बर्बाद होता है। इस खाने को इकट्ठा कर वो गरीब बच्चों का पेट भरने लगे।
उनके इस प्रयास की आसनसोल इंजीनियरिंग कॉलेज में उनके साथ काम करने वाले लोगों ने और छात्रों ने काफी सराहना की। इसके बाद चंद्र शेखर ने एक सामाजिक संगठन, फ़ूड, एजुकेशन एंड इकॉनोमिक डेवलपमेंट (FEED) की स्थापना की। इस दौरान उनका साथ दिया कॉलेज के छात्र और सहयोगी शिक्षकों ने। इसके अलावा उन्होंने आसनसोल और कोलकाता के बड़े-बड़े शैक्षणिक संस्थानों से सम्पर्क किया और उन्हें अपने हॉस्टल, कैंटीन में बचने वाले खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचाने का आग्रह किया।
उनकी बात को शैक्षणिक संस्थानों ने मान लिया। चंद्र शेखर कुंडू ने बताया कि "हमने अपने संगठन के तहत अलग-अलग प्रोजेक्ट शुरू कर दिए जैसे कि कमिटमेंट 365 डेज, प्रोटीन क्लब।"
शुरू किये कई प्रोजेक्ट्स
कमिटमेंट 365 डेज प्रोजेक्ट के लिए चंद्र शेखर कुंडू ने CISF बैरक, आईआईएम, कोलकाता और कुछ अन्य दफ्तरों से साझेदारी की है। उन्होंने बताया कि 'हमारे वॉलंटियर्स यहाँ से खाना इकट्ठा करके जरूरतमंदों में बांटते हैं।'
प्रोटीन क्लब का उद्देश्य बच्चों को कुपोषण से मुक्त करना है। चंद्र शेखर और उनकी टीम ने अपने काम के दौरान समझा कि रात का भोजन काफी आवश्यक है। अक्सर स्लम, फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को रात को कुछ खाने को न मिलने से वो कुपोषित हो जाते हैं। ऐसे में रात को खाना मिलने पर निर्भर होने की बजाय उनकी टीम रात में खुद खाना बनवाकर बच्चों को परोसती है।
उन्होंने जानकारी दी कि 'कमिटमेंट 365 डेज प्रोजेक्ट से 4 जगहों पर 190 बच्चों का पेट भर रहा है। प्रोटीन क्लब से रात में 3 जगहों पर 180 बच्चों को खाना परोसा जा रहा है। उनके मुताबिक अब तक वे लगभग 3 लाख प्लेट खाना बचा चुके हैं।
इसके अलावा बच्चों तक अच्छा खाना पहुँचाने के लिए चंद्र शेखर ने इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए संध्या स्कूल भी शुरू किए हैं।
शुरू किये कई प्रोजेक्ट्स
कमिटमेंट 365 डेज प्रोजेक्ट के लिए चंद्र शेखर कुंडू ने CISF बैरक, आईआईएम, कोलकाता और कुछ अन्य दफ्तरों से साझेदारी की है। उन्होंने बताया कि 'हमारे वॉलंटियर्स यहाँ से खाना इकट्ठा करके जरूरतमंदों में बांटते हैं।'
प्रोटीन क्लब का उद्देश्य बच्चों को कुपोषण से मुक्त करना है। चंद्र शेखर और उनकी टीम ने अपने काम के दौरान समझा कि रात का भोजन काफी आवश्यक है। अक्सर स्लम, फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को रात को कुछ खाने को न मिलने से वो कुपोषित हो जाते हैं। ऐसे में रात को खाना मिलने पर निर्भर होने की बजाय उनकी टीम रात में खुद खाना बनवाकर बच्चों को परोसती है।
उन्होंने जानकारी दी कि 'कमिटमेंट 365 डेज प्रोजेक्ट से 4 जगहों पर 190 बच्चों का पेट भर रहा है। प्रोटीन क्लब से रात में 3 जगहों पर 180 बच्चों को खाना परोसा जा रहा है। उनके मुताबिक अब तक वे लगभग 3 लाख प्लेट खाना बचा चुके हैं।
इसके अलावा बच्चों तक अच्छा खाना पहुँचाने के लिए चंद्र शेखर ने इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए संध्या स्कूल भी शुरू किए हैं।
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