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शहर में रहने वाले कुंवारे लड़कों को भी मिल सकेगा ‘पत्नी का सुख’, बस ढीली करनी पड़ेगी जेब

Published: Aug 06, 2018 04:31:45 pm

Submitted by:

Sunil Chaurasia

आजकल ज़माना बदल गया है। पहले अधिकांश लड़कियां घर-परिवार संभालने का काम करती थीं।

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शहर में रहने वाले कुंवारे लड़कों को भी मिल सकेगा ‘पत्नी का सुख’, बस ढीली करनी पड़ेगी जेब

नई दिल्ली। बदलते समय के साथ-साथ अब लोगों में शादी को लेकर कोई जल्दबाज़ी नहीं देखने को मिलती है। कहने का सीधा मतलब ये है कि अज के इस दौर में लोग बड़ी उम्र में शादी कर रहे हैं। पहले बाल विवाह की प्रथा थी, फिर सरकार ने शादी के लिए लड़की की उम्र 18 और लड़के की उम्र 21 निर्धारित कर दी। लेकिन अब आमतौर पर लोग 25 से 30 साल की उम्र में शादी करने लगे हैं। ऐसे में अगर सबसे ज़्यादा कमी किसी बात की महसूस होती है तो वो है जीवनसाथी यानि पत्नी की कमी।
अब सवाल यह उठता है कि घर से दूर रह रहे लोग इस कमी को कैसे दूर करें। क्योंकि अगर आपकी शादी हो भी गयी है, तो क्या पता 24×7 के वर्क कल्चर में आप दोनों को एक-दूसरे से मिलने का बहुत कम समय मिल पता हो या हो सकता है आप बिल्कुल भी न मिल पाते हों। इसके अलावा संभव है कि आप नौकरी करने के लिए विदेश में रहते हों और आपकी पत्नी आपके माता-पिता का ध्यान रखने के लिए ससुराल में रहती हों। ऐसे में इंसान काफी अकेलापन महसूस करता है। ऐसी स्थिति में लोग ऐसे शख्स की तलाश करते हैं जो उनकी पत्नी की कमी को पूरा कर सके।
दरअसल, आजकल ज़माना बदल गया है। पहले अधिकांश लड़कियां घर-परिवार संभालने का काम करती थीं। साक्षरता दर बढ़ने और बहू-बेटियों को नौकरी करने की छूट मिलने के बाद अब घरों में खाना बनाने को लेकर समस्या बढ़ने लगी है। हालांकि अब भी बहुत-सी शादीशुदा महिलाओं को नौकरी करने के साथ-साथ खाना भी पकाना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि एक लड़की के लिए खाना बनाने का काम उनके जीवन से कभी नहीं हट सकता। भले ही आपका पति कुक या हलवाई हो, इसके अलावा पति के दिल में घर करने का सबसे अच्छा तरीका लज़ीज खाना ही है।
मगर अब कुंवारे लड़के या अपनी पत्नी से दूर रह रहे मर्दों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ऐसे लोगों को ‘दूसरी पत्नी’ मिल गयी है। यकीन न हो तो इस रेस्टोरेंट का नाम देखिए.. ये है ‘सेकंड वाइफ रेस्टोरेंट’ मतलब दूसरी पत्नी। इस नाम के रेस्टोरेंट आपको तमाम शहरों में देखने को मिल जाएंगे। बेंगुलुरु, मुंबई, नोएडा, इलाहबाद और हो सकता है आपके शहर में भी हो।
अब आप सोच रहें होंगे कि इसका ऐसा नाम क्यों रखा गया है, तो आपको बता दें कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि यहां पर बिल्कुल घर जैसा खाना मिलता है। लिहाज़ा खाने का स्वाद घर जैसा मिलता है तो जाहिर-सी है उसे पत्नी ने ही बनाया होगा। लेकिन पत्नी तो घर पर है इसलिए इसका नाम दूसरी पत्नी रखा गया है। नाम रखने वाले ने शायद यह भी सोचा हो कि आमतौर पर घरों में भी खाना बनाने का काम पत्नी के पास होता है तो क्यों न इसका नाम दूसरी पत्नी रखा जाए।
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