पेशावर में किन्नरों की गुरु फरजाना जान ने एक इंटरव्यू में देश के कट्टरपंथ माहौल में अपने और अपने साथियों के साथ हो रहे भेदभाव के बारे में बताया था। उन्होंने बताया था कि पाकिस्तान की कंजरवेटिव सोसायटी में किन्नरों को बहुत दिक्कतें हैं। वो अपनी रोज की जरुरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे। उन्होंने बताया कि अकेले खैबर पख्तूनख्वा प्रॉविन्स में 2015 से अब तक 54 किन्नरों का मर्डर कर दिया गया और 400 से ज्यादा को मारा-पीटा गया।
बता दें, 2012 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को आम नागरिकों के बराबर अधिकार देने का ऐलान किया, जिससे इन्हें फैमिली प्रॉपर्टी में हिस्सा लेने और वोट का अधिकार हासिल हुआ। इससे पहले 2009 सुप्रीम कोर्ट इन्हें तीसरे जेंडर हिजड़ा के तौर आइडेंटिटी दे ही चुका था। हालांकि, सोशल लाइफ में उन्हें बराबरी का दर्जा और सम्मान अब तक नहीं मिल पाया है। इन्हें लगातार असमानता, हिंसा, सेक्शुअल हैरेसमेंट और बदसलूकियों का शिकार होना पड़ रहा है। इन्हें गुजारे के लिए भीख मांगकर, प्रॉस्टिट्यूशन या फिर नाच-गाकर पैसे जुटाने पड़ते हैं।