script12 साल की उम्र में गैंगरेप तो कोई हुआ यौन शोषण का शिकार, पाकिस्तान में ऐसी है किन्नरों की लाइफ | shocking story about kinner life in pakistan | Patrika News

12 साल की उम्र में गैंगरेप तो कोई हुआ यौन शोषण का शिकार, पाकिस्तान में ऐसी है किन्नरों की लाइफ

Published: Jul 22, 2018 01:21:25 pm

Submitted by:

Vinay Saxena

किन्नर समाज से अलग रहते हैं और इसी कारण इनके जीवन से जुड़ी बातें आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं

omg

12 साल की उम्र में गैंगरेप तो कोई हुआ यौन शोषण का शिकार, पाकिस्तान में ऐसी है किन्नरों की लाइफ

नई दिल्ली: महिला और पुरुष के साथ ही किन्नर भी इस सृष्टि की अभिन्न अंग हैं। किन्नरों का जीवन बहुत ही रहस्यमयी होता है। किन्नर समाज से अलग रहते हैं और इसी कारण इनके जीवन से जुड़ी बातें आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं। आज हम आपको पाकिस्तान के किन्नरों की हालत के बारे में बता रहे हैं। यहां किन्नरों की हालत ठीक नहीं है। ये लोग आए दिन काम पर रेप, मर्डर और बदसलूकी का शिकार हो रहे हैं।
नर्क जैसी जिंदगी जही रहे हैं किन्नर


पेशावर में किन्नरों की गुरु फरजाना जान ने एक इंटरव्यू में देश के कट्टरपंथ माहौल में अपने और अपने साथियों के साथ हो रहे भेदभाव के बारे में बताया था। उन्होंने बताया था कि पाकिस्तान की कंजरवेटिव सोसायटी में किन्नरों को बहुत दिक्कतें हैं। वो अपनी रोज की जरुरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे। उन्होंने बताया कि अकेले खैबर पख्तूनख्वा प्रॉविन्स में 2015 से अब तक 54 किन्नरों का मर्डर कर दिया गया और 400 से ज्यादा को मारा-पीटा गया।
सड़क पर निकलने पर की जाती है बेइज्जती

फरजाना ने बताया कि हमें बस में घुसने तक नहीं दिया जाता। वहीं, टैक्सी वाले ज्यादा पैसे मांगते हैं। सड़क पर निकलने पर लोग उनकी बेइज्जती करते हैं। उन लोगों के साथ सिर्फ इसलिए बुरा बर्ताव किया जाता है, क्योंकि उन्हें फैमिली का कोई सपोर्ट नहीं है और वो कमजोर हैं। उनके लिए कोई खड़ा नहीं होता। इसी कम्युनिटी की लवली खान डांसर का काम करती हैं। उन्हें सिर्फ 12 साल की उम्र में 17 लोगों ने गैंगरेप का शिकार बनाया, जब एक डांस परफॉर्मेंस से घर लौट रही थीं।
किन्नरों को मिल चुका है बराबरी का अधिकार


बता दें, 2012 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को आम नागरिकों के बराबर अधिकार देने का ऐलान किया, जिससे इन्हें फैमिली प्रॉपर्टी में हिस्सा लेने और वोट का अधिकार हासिल हुआ। इससे पहले 2009 सुप्रीम कोर्ट इन्हें तीसरे जेंडर हिजड़ा के तौर आइडेंटिटी दे ही चुका था। हालांकि, सोशल लाइफ में उन्हें बराबरी का दर्जा और सम्मान अब तक नहीं मिल पाया है। इन्हें लगातार असमानता, हिंसा, सेक्शुअल हैरेसमेंट और बदसलूकियों का शिकार होना पड़ रहा है। इन्हें गुजारे के लिए भीख मांगकर, प्रॉस्टिट्यूशन या फिर नाच-गाकर पैसे जुटाने पड़ते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो