भविष्य पुराण में ऐसा कहा गया है कि अष्टमी, नवमी, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी और नागपंचमी के दिन यदि किसी व्यक्ति को सांप डस लें तो उसका बचना असंभव है क्योंकि इन दिनों सांप का काटना यमदूत के समान माना जाता है।
भविष्य पुराण में ऐसा भी बताया गया है कि अगर सांप के काटने पर व्यक्ति को अधिक पसीना आने लगे, घाव फूल जाए, वह नाक से बोलने लगे,नाभि फड़कने लगे तो समझ लें कि अब उसकी मौत तय है।
28 नक्षत्रों में आर्द्रा, अश्लेषा, मघा, भरणी, कृतिका, विशाखा, मूल, स्वाती, शतभिषा और तीनों पूर्वा नक्षत्रों में भी अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
भविष्य पुराण में कश्यप ऋषि कहते हैं कि दिन में और रात में दूसरे और सोलहवें प्रहर को सांपों से संबंधित नागोदय वेला कहा गया है। इस दौरान सांप का काटना स्वयं यमराज के आने के समान है।