scriptएक ऐसा क्रूर तानाशाह, जिसके मरने के बाद भी लोग जीते थे डर के साए में, करता था ये घिनौने काम | Such a cruel dictator, even after his death, people lived in the fear | Patrika News

एक ऐसा क्रूर तानाशाह, जिसके मरने के बाद भी लोग जीते थे डर के साए में, करता था ये घिनौने काम

locationनई दिल्लीPublished: Oct 21, 2019 02:57:24 pm

Submitted by:

Sunita Adhikari

क्रूर तानाशाहों की लिस्ट में निकोलस चाचेस्कू का नाम भी है शामिल
आम लोगों की निगरानी में लगा रखी थी अपनी खुफिया पुलिस

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नई दिल्ली: दुनिया में ऐसे कई तानाशाह हैं, जिन्होंने क्रूरता की सारी हदों को पार कर दिया था। इन्हीं में से एक था- निकोलस चाचेस्कू। बहुत से लोग अब शायद यकीन न करें लेकिन 60 के दशक में रोमानिया में निकोलस चाचेस्कू ने लगातार 25 सालों तक न सिर्फ़ अपने देश के मीडिया की आवाज़ नहीं निकलने दी बल्कि खाने, पानी, तेल और यहाँ तक कि दवाओं तक पर राशन लगा दिया।जिसके कारण हज़ारों लोग बीमारी और भुखमरी के शिकार हो गए।
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कहा जाता है कि 60-70 के दशक में चाचेस्कू ने आम लोगों की भी निगरानी में अपनी खुफिया पुलिस लगी रखी थी, यह जानने के लिए कि लोग अपनी निजी जिंदगी में क्या कर रहे हैं। भारत के राजदूत रह चुके राजीव डोगरा ने बताया कि चाचेस्कू के जमाने में पार्क में बैठे लोगों पर नजर रखने के लिए एक खुफिया एजेंट बैठा रहता था। इसका पता लोगों को न चले, इसलिए वो अखबार में किए एक छेद के सहारे लोगों को देखा करता था।
चाचेस्कू इतना क्रूर था कि उसने पूरे देश में गर्भपात पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसके पीछे उद्देश्य ये था कि वह रोमानिया की जनसंख्या को बढ़ाना चाहते थे, ताकि वह अपने देश को एक विश्व शक्ति बना सकें। हालांकि उन्होंने तलाक पर प्रतिबंध तो नहीं लगाया था, लेकिन उसे इतना मुश्किल बना दिया था कि लोग तलाक ले-दे ही नहीं पाते थे। इसके साथ ही चाचेस्कू को लकेर ये भी किस्सा है कि कि वह एक दिन में 20-20 बार अपने हाथ धोते थे और वो भी शराब से। दरअसल, वो डरते थे कि कहीं उन्हें इन्फेक्शन न हो जाए। इस हाथ धोने की ‘बीमारी’ का आलम ये था कि जब वो साल 1979 में ब्रिटेन गए थे महारानी एलिजाबेथ से मिलने, तब भी वह हर एक व्यक्ति से हाथ मिलाने के बाद शराब से अपना हाथ धोते थे।
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बता दें कि चाचेस्कू की क्रूरता से परेशान होकर लोगों ने आवाज उठाई और जगह-जगह विद्रोह किए। इसका नतीजा ये हुआ कि 25 दिसंबर, 1989 को चाचेस्कू और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने दोनों को मौत की सजा सुनाई, जिसके बाद चाचेस्कू और एलीना को गोली मार कर हमेशा-हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया। चाचेस्कू की मौत के 10 साल बाद भी रोमानिया में लोग डर के साये में जीते थे। वह अपनी परछाई से भी घबराते थे और सड़क पर चलते समय बार-बार पीछे मुड़कर देखा करते थे कि कहीं कोई जासूस उनका पीछा तो नहीं कर रहा।
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