ज्ञात हो तो भगवान हनुमान सूर्य देवता को अपना गुरु मानते थे। सूर्य देव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं। इन सभी विद्याओं का ज्ञान बजरंग बली प्राप्त करना चाहते थे। उन्हें 9 विधाओं में से 5 विधाओं का ज्ञान प्राप्त हो गया था लेकिन बची 4 को पाने के लिए उन्हें शादीशुदा होना जरूरी था। इस समस्या के निराकरण के लिए सूर्य देव ने हनुमानजी से विवाह करने की बात कही। हनुमान जी की रजामंदी मिलने के बाद सूर्य देव के तेज से एक कन्या का जन्म हुआ। इसका नाम सुर्वचला था। सूर्य देव ने हनुमान जी को सुवर्चला से शादी करने को कहा। मान्यताओं की मानें, तो सुवर्चला किसी गर्भ से नहीं जन्मी थी और वो बिना योनि के पैदा हुई थी। ऐसे में उससे शादी करने के बाद भी हनुमान जी के ब्रह्मचर्य में कोई बाधा नहीं पड़ी।