scriptपावन अक्षय तृतीया के पर्व को यहां लोग मानते हैं अशुभ, पीछे की सच्चाई कर देगी हैरान | There is a 200 year old haunted fort in Lalitpur, Uttar Pradesh | Patrika News

पावन अक्षय तृतीया के पर्व को यहां लोग मानते हैं अशुभ, पीछे की सच्चाई कर देगी हैरान

Published: Jul 11, 2018 03:40:00 pm

Submitted by:

Arijita Sen

घटना के सबूत के तौर पर आज भी इस किले के दरवाजे पर 7 लड़कियों की पेंटिंग बनी हुई है। हर साल गांव की महिलाएं इन लड़कियों की पूजा करती हैं।

Akshay tritiya

पावन अक्षय तृतीया के पर्व को यहां लोग मानते हैं अशुभ, पीछे की सच्चाई कर देगी हैरान

नई दिल्ली। भूत-प्रेत, आत्माएं इत्यादि है या नहीं, इस बारे में लोगों के तरह-तरह के विचार हैं। कोई इन्हें मानता है तो कोई इन्हें मानने से इंकार करता है, लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं घट जाती हैं जिसके बारे में कोई व्याख्या नहीं मिल पाता है। इस तरह की घटनाओं के पीछे का कारण लोगों और विज्ञान की सोच से काफी परे है। आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लेकर लोगों के मन में डर और खौफ छाया हुआ है।

Lalitpur fort

यहां बात की जा रही है लगभग 200 साल पुराने एक किले की जो उत्तरप्रदेश के ललितपुर जिले में स्थित है। इस किले के बारे में ऐसा कहा जाता है कि आज से लगभग 150 साल पहले यहां पर एक बहुत बड़ी अनहोनी हुई थी। घटना के सबूत के तौर पर आज भी इस किले के दरवाजे पर 7 लड़कियों की पेंटिंग बनी हुई है। हर साल गांव की महिलाएं इन लड़कियों की पूजा करती हैं।

बता दें, सन् 1850 के आस-पास राजा मर्दन सिंह ललितपुर के बानपुर के राजा थे। उस दौरान वह अकसर तालबेहट भी आते-जाते रहते थे। इसी वजह से ललितपुर के तालबेहट में उन्होंने एक महल का निर्माण करवाया था। इस महल में राजा मर्दन सिंह के पिता प्रहलाद रहते थे। राजा मर्दन सिंह के बारे में एक और खास बात यह है कि उन्होंने सन् 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया था।

Lalitpur fort

राजा मर्दन सिंह और उनके पिता का व्यवहार एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत था। एक ओर जहां राजा मर्दन सिंह को लोग सम्मान की दृष्टि से देखते थे वहीं उनके पिता प्रहलाद सिंह ने अपनी गंदी हरकतों के चलते बुंदेलखंड को कलंकित कर दिया था।

इतिहासकारों के मुताबिक एक दिन अक्षय तृतीया के पर्व पर कुछ ऐसा हुआ जो कि वाकई में बेहद चौंकाने वाली थी। उस दौरान अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर नेग मांगने की रस्म होती थी।

इसी रस्म को अदा करने के लिए तालबेहट राज्य की 7 लड़कियां राजा मर्दन सिंह के पहुंची। उस वक्त मर्दन सिंह के पिता प्रहलाद किले में अकेले थे। मौके का फायदा उठाते हुए प्रहलाद सिंह ने लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बना लिया। प्रताड़ित लड़कियों ने महल के बुर्ज से कूदकर जान दे दी थी।

 

Lalitpur fort

अपने पिता की इस घिनौनी हरकत से राजा मर्दन सिंह काफी आहत थे।उन्होंने लड़कियों को श्रद्धांजलि देने के लिए किले के मुख्य द्वार पर उन सात लड़कियों के चित्र बनवाए जो आज भी यहां मौजूद है। जहां पूरे देश भर में अक्षय तृतीया के पर्व को शुभ माना जाता है वहीं ललितपुर में इस दिन को अशुभ माना जाता है।

इस दिन यहां की महिलाएं किले के मुख्य द्वार पर बनी सातों लड़कियों के चित्र की पूजा-अर्चना करती हैं। यहां लोगों का ऐसा मानना है कि ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यहां के स्थानीय निवासियों के अनुसार आज भी उन 7 पीड़ित लड़कियों की आत्माओं की चीखें तालबेहट फोर्ट में सुनाई देती हैं। इसी खौफ के चलते लोग रात तो दूर बल्कि दिन में भी किले के आसपास नहीं फटकते हैं।

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