बता दें कि यह फल अभी तक सिर्फ चीन में पाया जाता था। लेकिन अब इसकी पैदावार भारत में भी शुरू हो गई है। भारत में इसे सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान ने पालमपुर में तैयार किया है। खास बात यह है कि मोंक फ्रूट से बने उत्पाद या चीनी को शुगर के मरीज भी खा सकते हैं। चीन में पैदा होने वाले मोंक फ्रूट के इस पौधे को देश में पहली बार उगाने का काम किया गया है। हालांकि अब पालमपुर में सीएसआईआर और एनबीपीजीआर द्वारा मंजूरी मिलने के बाद पौधे को बड़े स्तर पर तैयार किया जा रहा है।
मोंक फ्रूट के फल से मिलने वाले मोगरोसाइड तत्व से मिठास का नया विकल्प तैयार किया गया है। जो कि चीनी के मुकाबले करीब 300 गुना अधिक मीठा होता है। इसमें एमिनो एसिड, फ्रक्टोज, खनिज और विटामिन शामिल हैं। खास बात यह है कि पेय पदार्थ, पके हुए या बेक्ड भोजन में प्रयोग किए जाने के बावजूद इसकी मिठास कायम रहती है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस पौधे के जरिए किसानों के पास आय का दूसरा साधन पैदा होगा. उम्मीद जताई जा रही है कि जहां किसानों की आय प्रति हेक्टर 40 हजार रुपये होती है. इस फसल से वह आय डेढ़ लाख रुपये प्रति हेक्टर हो जाएगी. इस फल की खेती अब किसानों तक पहुंचने पर सीएसआईआर काम कर रहा है क्योंकि इस फल की डिमांड इसी गुणों के कारण अधिक रहती है इसलिए ये किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाएगा.