दक्षिणी सूड़ान की मुंदारी प्रजाति के आदिवासी गाय और बैलों से अटूट प्यार करते हैं और उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं। गाय की पूजा करना और उनकी देखभाल करना ही इनका एकमात्र काम है।
मुंदारी जनजाति के लोग गौ मूत्र से नहाते है, क्योंकि उन लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनके शरीर में कोई रोग नहीं होता। साथ ही त्वचा हल्के नारंगी रंग की हो जाती है जो कि उनके लिए अच्छा है। यहां गाय को भगवान की तरह पूजा जाता है।
इनका मानना है कि गाय ही इनके जीवन को बचा सकती है इसलिए ये लोग बकायदा बंदूक लेकर उसकी रक्षा करते हैं। हर साल करीब 3,50,000 गाय और बैलों की चोरी होती है और इसके चलते 2500 लोग मारे जाते हैं। ये लोग इन्फेक्शन से बचने के लिए गाय का दूध निकालकर उसे पी लेते है।
यहां की महिलाएं गाय के गोबर से बने उपलो को जलाकर बनाई गई राख को टेलकम पाउडर की तरह मुंह पर लगाती हैं। इनका मानना है कि इससे त्वचा में निखार आता है। ये सब देखकर कहा जा सकता है कि मुंदारी प्रजाति के लोग आदिवासी गाय और बैलों से अटूट प्यार करते हैं।