जानकारी के लिए बता दें कि, उनकी त्वचा यूवी किरणों के प्रति आम इंसान के मुकाबले 10 हजार गुना ज्यादा संवेदनशील है। बचपन से ही डॉक्टरों ने उन्हें दिन में बाहर निकलने से मना किया है। जन्म के कुछ ही महीनों में एलेक्स को इस बीमारी से ग्रसित पाया गया। सूरज की रोशनी में उसका चेहरा जैसे जल-भून गया था। उसकी त्वचा में डीएनए डैमेज को रिपेयर करने की क्षमता बेहद कम है। इसके लिए उनका खास ख्याल रखना पड़ता था। 25 साल की उम्र तक एलेक्स बड़ी मुश्किल से जिंदगी जी रहे थे फिर अचानक से उनकी ज़िंदगी में आशा की एक किरण आई। उनका ‘सेकेंड स्किन’ मास्क स्पेशल कैमरों का इस्तेमाल किया गया। एलेक्स की हजारों तस्वीरें ली गईं और कंप्यूटर की मदद से 3डी मॉडल मास्क तैयार किया गया और आज वह बहार घूमने में सक्षम हैं।